देवी लक्ष्मी और माँ सरस्वती के मध्य संवाद चल रहा था l लक्ष्मी जी बोलीं --- " बहन सरस्वती ! देखो , सुयोग्य विद्वान् भी मेरे द्वार पर नित्य प्रति धन की आशा में खड़े रहते हैं l "
सरस्वती जी बोलीं ---- " बहन ! इसके साथ यह भी सत्य है कि व्यक्ति बहुत धनी हो , परन्तु अज्ञानी हो तो पशु तुल्य ही है l " ब्रह्मा जी दोनों की बातें सुन रहे थे l वे दोनों को संबोधित करते हुए बोले ---- " देवियों ! आप दोनों की ही बातें सत्य है l यदि आप दोनों द्वारा दिए गए गुणों के साथ विवेक और जुड़ जाये तो मनुष्य का जीवन संपूर्ण हो जाता है l "
धन और ज्ञान के साथ विवेक जरुरी है l आज सारे संसार में दुर्बुद्धि का प्रकोप है l धनी अपने धन का उपयोग , अपने खजाने को और बढ़ाने के लिए ही करता है l उसका प्रयास यही रहता है कि अपने धन से सबका मुँह बंद कर के हर वह कार्य कर ले जिससे उसका खजाना बढ़ जाये , वह अरब से खरबपति ---- और ---और --- बढ़ता ही जाये , फिर जनता जिए या मरे , उसका खजाना बढ़ना चाहिए l
इसी तरह यदि ज्ञान के साथ विवेक नहीं है तो वह संसार के लिए घातक है जैसे विज्ञान ने संसार को अनगिनत सुख - सुविधाएँ दीं , लेकिन विवेक और संवेदना न होने के कारण संसार को परमाणु बम , घातक हथियार दिए l रासायनिक खाद , रासायनिक उर्वरक , वैज्ञानिक तरीके से तैयार किये गए बीज , जिनसे तैयार फल , अनाज शरीर को बीमार कर दे l ऐसी दवाएं जिनके रिएक्शन हो जाएँ l एक से बढ़कर एक नई बीमारियां सब विज्ञान ने ही दीं हैं l ऐसे जीवन में बीमारी होने या बीमारी का भय होने से मनुष्य के जीवन की उमंग खत्म हो जाती है l
धन और ज्ञान के साथ विवेक न होने से कला , साहित्य आदि हर क्षेत्र अपने मूल्य को खो देता है और इन सबके नीचे पिसती जनता की यदि चेतना जाग्रत नहीं है , तो वह भी चलती - फिरती लाश बन जाती है l
सरस्वती जी बोलीं ---- " बहन ! इसके साथ यह भी सत्य है कि व्यक्ति बहुत धनी हो , परन्तु अज्ञानी हो तो पशु तुल्य ही है l " ब्रह्मा जी दोनों की बातें सुन रहे थे l वे दोनों को संबोधित करते हुए बोले ---- " देवियों ! आप दोनों की ही बातें सत्य है l यदि आप दोनों द्वारा दिए गए गुणों के साथ विवेक और जुड़ जाये तो मनुष्य का जीवन संपूर्ण हो जाता है l "
धन और ज्ञान के साथ विवेक जरुरी है l आज सारे संसार में दुर्बुद्धि का प्रकोप है l धनी अपने धन का उपयोग , अपने खजाने को और बढ़ाने के लिए ही करता है l उसका प्रयास यही रहता है कि अपने धन से सबका मुँह बंद कर के हर वह कार्य कर ले जिससे उसका खजाना बढ़ जाये , वह अरब से खरबपति ---- और ---और --- बढ़ता ही जाये , फिर जनता जिए या मरे , उसका खजाना बढ़ना चाहिए l
इसी तरह यदि ज्ञान के साथ विवेक नहीं है तो वह संसार के लिए घातक है जैसे विज्ञान ने संसार को अनगिनत सुख - सुविधाएँ दीं , लेकिन विवेक और संवेदना न होने के कारण संसार को परमाणु बम , घातक हथियार दिए l रासायनिक खाद , रासायनिक उर्वरक , वैज्ञानिक तरीके से तैयार किये गए बीज , जिनसे तैयार फल , अनाज शरीर को बीमार कर दे l ऐसी दवाएं जिनके रिएक्शन हो जाएँ l एक से बढ़कर एक नई बीमारियां सब विज्ञान ने ही दीं हैं l ऐसे जीवन में बीमारी होने या बीमारी का भय होने से मनुष्य के जीवन की उमंग खत्म हो जाती है l
धन और ज्ञान के साथ विवेक न होने से कला , साहित्य आदि हर क्षेत्र अपने मूल्य को खो देता है और इन सबके नीचे पिसती जनता की यदि चेतना जाग्रत नहीं है , तो वह भी चलती - फिरती लाश बन जाती है l
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