7 September 2020

WISDOM

   मान्यता  है  कि   वाल्मीकि जी  ने  ही    तुलसीदास जी  की   देह  धरकर   सहज , सरस   और  सरल  भाषा  में   रामचरितमानस  का  सृजन  किया  था  l  रामचरितमानस  की  रचना  से  तुलसीदास जी  जन - जन  के  हृदय  में  प्रतिष्ठित  हो  गए  ,  उनकी  ख्याति  तथा  प्रतिष्ठा  में  आशातीत  वृद्धि  हुई   और  उनके  दर्शनों  के  लिए   अनेक  राजा - महाराजे     तथा  भक्तगण   उनका  आशीर्वाद   प्राप्त  करने  के  लिए  आने  लगे  l   यह  सब  देख  एक  व्यक्ति  ने  उनसे  पूछा ---- " आजकल  इतने  बड़े  लोग  उनके  पास   क्यों  आते  हैं   ? "  इसके  उत्तर  में  तुलसीदास जी  ने  कहा --- " यह  सब   भगवान  श्रीराम जी   की  कृपा  है   -- लहइ   न   फूटी  कौड़िहू   को  चाहै   केहि  काज  l   सो  तुलसी  महँगो   कियो  ,  राम  गरीब   निवाज   l 

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