महर्षि दयानंद के एक शिष्य थे --- अमीचन्द्र l वे गाते भी बहुत अच्छा थे और तबला भी बजाते थे l पर उन्हें शराब पीने की बुरी लत थी l दूसरे शिष्यों ने उनसे कहा --- ' भगवन , इन्हे अपने साथ न रखें l इनसे हम सबकी प्रतिष्ठा गिरती है l स्वामी जी बोले --- " पहले यह गाता था , पेट के लिए व मनोरंजन के लिए l अब जब से हम से जुड़ा है , भगवान की खातिर उन्ही को सुनाकर गीत गाता है l यह स्वयं बदलेगा l " हुआ भी वही l प्रेरक प्रभु के सन्देश को फैलाने वाले गीत सुनाते - सुनाते अमीचन्द्र बदल गए , उनकी आदत भी छूट गई और समाज सुधार के कार्य में स्वामी जी के सहयोगी बने l
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