संत एकनाथ के विषय में प्रसिद्ध था कि उनकी सहनशीलता अपूर्व है l एक बार उनकी परीक्षा लेने के उदेश्य से एक व्यक्ति उस पेड़ पर चढ़ गया , जिसके नीचे से संत एकनाथ प्रतिदिन नदी स्नान को नकलते थे l उस दिन जैसे ही वे नदी स्नान के पश्चात् घर वापस जाने लगे और जैसे ही उस पेड़ के नीचे से गुजरे , उस दुष्ट व्यक्ति ने उन पर कुल्ला कर दिया l एकनाथ कुछ बोले नहीं और वापस जाकर नदी स्नान कर आए l दोबारा लौटने लगे तो उस व्यक्ति ने फिर से उन पर कुल्ला कर दिया l इस बार भी संत एकनाथ कुछ न बोले और पुन: स्नान करने चले गए l ऐसा 108 बार हुआ , एकनाथ जी स्नान कर आते और वह व्यक्ति उन पर कुल्ला कर देता l इतनी बार कुल्ला करने पर वह व्यक्ति अवश्य थक गया होगा लेकिन संत एकनाथ बिलकुल विचलित नहीं हुए और उस दुष्ट व्यक्ति के उन पर कुल्ला करने पर शांत मन से स्नान कर के लौटते रहे l आख़िरकार वह व्यक्ति शर्मिंदा होकर उनके चरणों पर गिर पड़ा और बोला --- " भगवन ! मुझे क्षमा करें l मैं पापी हूँ , मैंने आपको अन्यथा कष्ट दिया l " संत एकनाथ पूर्ण धैर्य के साथ बोले --- " नहीं पुत्र ! मैं तो तुम्हे धन्यवाद दूंगा कि तुम्हारे कारण आज मुझे नदी में 108 बार स्नान करने का अवसर मिला l ऐसा सौभाग्य कहाँ रोज -रोज मिलता है l " संत के कथन से वह व्यक्ति बहुत शर्मिंदा हुआ l
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