' जिनके लक्ष्य ऊँचे और संकल्प द्रढ़ होते हैं , उनके कदमों को थामने की हिम्मत किसी में नहीं होती '
अमेरिका में जन्मी विल्मा के बाएँ पाँव को बचपन में ही लकवा मार गया था । पाँव में धीरे -धीरे थोड़ी ताकत लौटी तो भी वह घिसट -घिसटकर ही चल पाती थी । माता -पिता और सगे -संबंधियों ने सोचा कि अब विल्मा जिंदगी भर अपाहिज बन कर ही रहेगी , पर विल्मा के दिल में कुछ और ही अरमान थे ।
उसने ठान लिया कि वह ओलंपिक खेलों में दौड़ कर दिखायेगी । जिसने भी उसके संकल्प के बारे में सुना , उसने शंका जाहिर की । कुछ ने तो उसका मनोबल गिराने वाली बातें भी बोलीं , किंतु किसी की बातों पर ध्यान न देते हुए विल्मा पांच वर्ष तक निरंतर , हर रोज दौड़ने का अभ्यास करती रही । संकल्प की धनी विल्मा न केवल ओलंपिक में दौड़ी , वरन उन खेलों में तीन स्वर्ण पदक जीतकर उसने दुनिया को ये दिखा दिया कि जिनके इरादे नेक और मजबूत होते हैं , उनकी राहों को कोई रोक नहीं सकता ।
अमेरिका में जन्मी विल्मा के बाएँ पाँव को बचपन में ही लकवा मार गया था । पाँव में धीरे -धीरे थोड़ी ताकत लौटी तो भी वह घिसट -घिसटकर ही चल पाती थी । माता -पिता और सगे -संबंधियों ने सोचा कि अब विल्मा जिंदगी भर अपाहिज बन कर ही रहेगी , पर विल्मा के दिल में कुछ और ही अरमान थे ।
उसने ठान लिया कि वह ओलंपिक खेलों में दौड़ कर दिखायेगी । जिसने भी उसके संकल्प के बारे में सुना , उसने शंका जाहिर की । कुछ ने तो उसका मनोबल गिराने वाली बातें भी बोलीं , किंतु किसी की बातों पर ध्यान न देते हुए विल्मा पांच वर्ष तक निरंतर , हर रोज दौड़ने का अभ्यास करती रही । संकल्प की धनी विल्मा न केवल ओलंपिक में दौड़ी , वरन उन खेलों में तीन स्वर्ण पदक जीतकर उसने दुनिया को ये दिखा दिया कि जिनके इरादे नेक और मजबूत होते हैं , उनकी राहों को कोई रोक नहीं सकता ।
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