भारत के स्वाधीनता संग्राम के एक सुद्रढ़ स्तम्भ श्री जमनालाल जी बजाज की पत्नी जानकी देवी बजाज ने पति की मृत्यु के बाद ' अर्द्धांगिनी ' का नाम चरितार्थ करने के लिए अपना जीवन सार्वजनिक सेवा के लिए अर्पित कर दिया l उन्होंने अपना कर्तव्य इतने प्रशंसनीय ढंग से पूरा किया कि वे भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन और प्रगति की एक मुख्य अंग बन गईं l
जन्म से वे मारवाड़ी घराने की एक अपढ़ , गहनों से लदी, परदे में रहने वाली , छुआछूत की भावना से ग्रस्त बालिका थीं l उनका विवाह प्रसिद्ध पूंजीपति सेठ श्री जमनालाल बजाज से हुआ l जमनालाल जी को देश सेवा की गहरी लगन थी l जब उन्हें सरकार ने ' राय बहादुर की उपाधि दी , उन्होंने अपनी पत्नी को पत्र में लिखा ----- " सद्बुद्धि और स्वार्थ रहित सेवा करने की शक्ति प्राप्त करने के लिए ईश्वर से सदैव प्रार्थना करनी चाहिए l यह जीवन स्वप्न के समान है l हमारा यह कर्तव्य हो जाता है कि हम जो कुछ सेवा करें स्वार्थ रहित होकर करें l "
जमनालाल जी के आदेश पर जानकी देवी ने गहने त्यागे , घूँघट हटाया और उनके हर कार्य की साथी बन गईं l इसके बाद जानकी देवी ने मारवाड़ी समाज से परदा- प्रथा हटाने का पूरा आन्दोलन आरम्भ कर दिया l उनने स्थान - स्थान पर महिला - मंड,ल बनाये , नारी - जागरण का कार्य किया l उनके द्वारा किया गया एक महत्वपूर्ण कार्य है ----- प्यासे ग्रामीणों के लिए कूप ( कुंए ) निर्माण l वे बहनों से कहती थीं ---- कार्य कोई नहीं ' सौ तोले की जगह हम दस तोले के आभूषण पहन लेंगी लेकिन कुंआं बनायेंगी l इससे बड़ा पुण्य कार्य कोई नहीं l विनोबा भावे के साथ मिलकर उन्होंने कूप दान के संकल्प कराये , हजारों तोला सोना एकत्र कर कुएं खुदवाये , जिससे सबको पानी मिल सका |
जन्म से वे मारवाड़ी घराने की एक अपढ़ , गहनों से लदी, परदे में रहने वाली , छुआछूत की भावना से ग्रस्त बालिका थीं l उनका विवाह प्रसिद्ध पूंजीपति सेठ श्री जमनालाल बजाज से हुआ l जमनालाल जी को देश सेवा की गहरी लगन थी l जब उन्हें सरकार ने ' राय बहादुर की उपाधि दी , उन्होंने अपनी पत्नी को पत्र में लिखा ----- " सद्बुद्धि और स्वार्थ रहित सेवा करने की शक्ति प्राप्त करने के लिए ईश्वर से सदैव प्रार्थना करनी चाहिए l यह जीवन स्वप्न के समान है l हमारा यह कर्तव्य हो जाता है कि हम जो कुछ सेवा करें स्वार्थ रहित होकर करें l "
जमनालाल जी के आदेश पर जानकी देवी ने गहने त्यागे , घूँघट हटाया और उनके हर कार्य की साथी बन गईं l इसके बाद जानकी देवी ने मारवाड़ी समाज से परदा- प्रथा हटाने का पूरा आन्दोलन आरम्भ कर दिया l उनने स्थान - स्थान पर महिला - मंड,ल बनाये , नारी - जागरण का कार्य किया l उनके द्वारा किया गया एक महत्वपूर्ण कार्य है ----- प्यासे ग्रामीणों के लिए कूप ( कुंए ) निर्माण l वे बहनों से कहती थीं ---- कार्य कोई नहीं ' सौ तोले की जगह हम दस तोले के आभूषण पहन लेंगी लेकिन कुंआं बनायेंगी l इससे बड़ा पुण्य कार्य कोई नहीं l विनोबा भावे के साथ मिलकर उन्होंने कूप दान के संकल्प कराये , हजारों तोला सोना एकत्र कर कुएं खुदवाये , जिससे सबको पानी मिल सका |
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