कहते हैं जो व्यक्ति अनीति और अधर्म की राह पर चलता है , समाज को उत्पीड़ित करता है , वह अंदर से बहुत कमजोर होता है l बाहर से वह कितना ही ताकतवर हो , लेकिन उसकी आत्मा उसे सदा कचोटती रहती है इसलिए उसका मनोबल गिरा हुआ होता है l ऐसे में यदि सन्मार्ग पर चलने वाले लोग संगठित होकर उसका विरोध करें तो उसे पस्त होते देर न लगेगी l
ऐसा ही एक उदाहरण रावण का है , अनीति और अधर्म की राह पर चलने के कारण उसका मनोबल बहुत कमजोर हो गया था l इतना विद्वान् , शक्तिशाली , लंकापति रावण जब सीताजी का हरण करने चला तो उसने भिखारी का रूप बना लिया , उसकी दशा बहुत दयनीय थी l भिखारी का वेश धरने पर इधर - उधर देख रहा था कि कहीं कोई उसे देख न ले l गलत राह पर चलने वाले व्यक्ति का तेज , बल , बुद्धि -- सारे सद्गुण नष्ट हो जाते हैं l
ऐसा ही एक उदाहरण रावण का है , अनीति और अधर्म की राह पर चलने के कारण उसका मनोबल बहुत कमजोर हो गया था l इतना विद्वान् , शक्तिशाली , लंकापति रावण जब सीताजी का हरण करने चला तो उसने भिखारी का रूप बना लिया , उसकी दशा बहुत दयनीय थी l भिखारी का वेश धरने पर इधर - उधर देख रहा था कि कहीं कोई उसे देख न ले l गलत राह पर चलने वाले व्यक्ति का तेज , बल , बुद्धि -- सारे सद्गुण नष्ट हो जाते हैं l
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