मनुष्य धन से नहीं मन से अमीर होता है ---- एक फकीर को एक स्वर्ण मुद्रा मिली , उसने निश्चय किया कि जो सबसे गरीब होगा , उसे ही मैं यह स्वर्ण मुद्रा दूँगा l एक दिन उसे पता लगा कि उसके देश का राजा एक छोटे पड़ोसी देश पर आक्रमण करने जा रहा है l फ़क़ीर के मन में कोई लालच व अहंकार नहीं था इसलिए उसे उस स्वर्ण मुद्रा की जरुरत भी नहीं थी l फकीर बहुत दूर पैदल चलकर राजमहल तक गया और वह स्वर्ण मुद्रा राजा को दे दी l राजा ने इसका कारण पूछा तो फ़क़ीर बोला ---- " मैंने इस स्वर्ण मुद्रा को सबसे गरीब व्यक्ति को देने का निश्चय किया , इसलिए आपको दे दी l यह गरीबी को दूर करने में कुछ सहायक होगी l " राजा बोला ----- " मेरे पास धन , विशाल सेना , राज - वैभव सब है , अमूल्य हीरे = जवाहरात भी हैं , फिर मैं सबसे गरीब कैसे हुआ ? " फ़क़ीर बोला ---- " इतना सब होते हुए भी आप अपने से कमजोर राष्ट्र पर आक्रमण कर रहे हैं , निर्दोष लोगों को जान - माल से बेघर कर रहे हैं , फिर आप से गरीब इस संसार में और कौन होगा ? " यह सुनकर राजा को अपनी भूल का एहसास हुआ l
No comments:
Post a Comment