पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ----' बदल जाए दृष्टिकोण तो इनसान बदल सकता है , दृष्टिकोण में परिवर्तन से जहान बदल सकता है l ' यदि हमारा दृष्टिकोण सकारात्मक हो तो जीवन की दिशा बदल जाती है , जीने की नई राह दिखाई देती हैं लेकिन यदि दृष्टिकोण नकारात्मक हो तो जीवन की दिशा उस गर्त में जाती है जहाँ से निकलना , उबरना आसान नहीं होता है l अपनी जिंदगी के बारे में निर्णय हमें लेना है , ईश्वर ने मनुष्य को चयन की स्वतंत्रता दी है l ------ एक कथा है ----- एक गुरुकुल में दो राजकुमार पढ़ते थे , दोनों अलग -अलग राज्यों के वारिस थे l एक दिन उनके आचार्य उन्हें बाग में घुमाने ले गए l वहां एक आम का पेड़ भी था , उसी समय एक बालक आया और डंडा मारकर आम तोड़ने लगा l आचार्य ने राजकुमारों से पूछा --" इस विषय में तुम दोनों की क्या राय है ? पहले राजकुमार ने कहा --- " गुरूजी ! वृक्ष भी बगैर डंडा खाए फल नहीं देता है यानि लोगों पर दबाव डालकर ही उनसे कोई काम कराया जा सकता है l " दूसरे राजकुमार ने कहा ---- " गुरूजी ! मुझे लगता है कि जिस प्रकार यह पेड़ डंडे खाकर भी मीठे आम दे रहा है , उसी तरह व्यक्ति भी स्वयं दुःख सहकर दूसरों को सुख दे सकता है l अपमान के बदले उपकार कर सकता है l " गुरुदेव ने कहा ---- " एक ही घटना पर तुम दोनों की राय अलग है क्योंकि तुमहाते दृष्टिकोण में भिन्नता है l मनुष्य अपने दृष्टिकोण के अनुसार ही जीवन की व्याख्या करता है , उसी के अनुरूप कार्य करता है और उसी के अनुसार फल भोगता है l "
No comments:
Post a Comment