सामान्य जन प्रेरणा तभी लेते हैं , जब आदर्शों की चर्चा करने वाले , नीतिवेत्ता , नियम बनाने वाले स्वयं भी उनका पालन करें l सम्राट बिम्बसार के शासन की घटना है ---- एक साल लू अधिक चली l मजबूत सामग्री उपलब्ध न होने के कारण प्रजा के झोंपड़े फूस के बने थे l न जाने लोग क्यों लापरवाह रहने लगे थे इसलिए आए दिन अग्निकांड की घटनाओं के समाचार दरबार में पहुँचते l बिम्बसार जैसे दयालु राजा के लिए यह स्वाभाविक था कि वह पीड़ितों की सहायता करें l बहुत अग्निकांड हुए तो सहायता राशि का खरच भी पहले की तुलना में बहुत बढ़ गया l लोगों की लापरवाही रोकने के लिए राजाज्ञा प्रसारित हुई कि जिसका घर जलेगा , उसको एक वर्ष श्मशान में रहने का दंड भुगतना पड़ेगा l सब लोग चौकन्ने हो गए l एक दिन राजा के भूसे के कोठे में आग लगी और देखते -देखते जल गया l समाचार मिलने पर दरबार से राजा को श्मशान में रहने की आज्ञा हुई l दरबारियों ने समझाया ---- " नियम तो प्रजा जनों के लिए होते हैं , राजा तो उन्हें बनाता है , इसलिए उस पर वो लागू नहीं होते l " परन्तु बिम्बसार ने किसी की नहीं मानी l वे फूस की झोंपड़ी बनाकर श्मशान में रहने लगे l समाचार फैला तो सतर्कता सभी ने अपनाई और अग्निकांड की दुर्घटनाओं का सिलसिला समाप्त हो गया l
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