पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने प्रज्ञा पुराण में लिखा है -- " परोपकार रहित मनुष्य के जीवन को धिक्कार है उसकी तुलना में तो पशु श्रेष्ठ है , उसका कम से कम चमड़ा तो काम आ जायेगा , परन्तु मानवता रहित मनुष्य का जीवन तो किसी के भी उपयोग का नहीं रहता l हमें इंसानियत को ही अपना जीवन लक्ष्य मानकर जीवन जीना चाहिए l " -------- स्वर्ग में किसी की शोभा यात्रा निकल रही थी l किसी ने पूछा ---- " इस पालकी में कौन बैठा है ? " उत्तर मिला ---- " एक शेर बैठा है l " प्रश्न कर्ता ने पूछा ---- " शेर को स्वर्ग का वैभव कैसे प्राप्त हुआ ? " उत्तर मिला ---- " एक रात को बहुत आँधी , तूफान व बरसात होने लगी थी l शेर अपनी गुफा को लौट रहा है l उसे गंध से मालूम पड़ा कि उसकी अँधेरी गुफा में एक बकरी आकर बैठ गई है l " " शेर ने विचार किया कि यदि बकरी मुझे देख लेगी तो भयभीत हो जाएगी , इसलिए वह गुफा के बाहर ही बैठ गया l वह रात भर पानी में भीगता रहा ताकि बकरी को कष्ट न हो , इसलिए स्वयं कष्ट उठाता रहा l बकरी के प्राण बचाने के पुण्य के फलस्वरूप ही उसको स्वर्ग मिला है l " परोपकार कभी भी व्यर्थ नहीं जाता l
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