7 August 2024

WISDOM ------

  महर्षि  व्यास  के  पुत्र  शुकदेवजी  परम  वैरागी  थे  l  जन्म  लेते  ही  तप  करने  जंगल  चल  पड़े  l  पिता  ने  उन्हें  आश्रम  परंपरा  समझाई  l  कहा ---- "  यह  जरुरी  है  l  यह  क्रम  पूरा  कर  के  ही  तप  करना  l "   शुकदेव  पांच  वर्ष  तक  गर्भ  में  रहे  l  l  उन्होंने  पिता  व्यास जी  से  तर्क  किया  कि  यदि   ब्रह्मचर्य  पालन  से  ही  मुक्ति   होती  तो  सभी  अविवाहित  रहते  l    यदि   विवाह  ही  जरुरी  था   तो  सभी  गृहस्थों  को  मुक्ति  मिलती  l   यदि  वानप्रस्थ  ही  अनिवार्य  था   तो  सारे  पशु , बन्दर , भालू   आदि  मुक्त  हो  जाते  l  यह  कहकर  वे  वन  चले  गए  l  व्यास जी  ने  ऋषियों  से  परामर्श  लिया  कि  क्या  करें  ,  ताकि  वह  लौटे  l  सभी  ने  एक  मत  से  कहा   कि  जहाँ  शुकदेव  तपस्या  कर  रहे  हैं  ,  वहां  आपके  शिष्य  जाकर   आपके  ही  द्वारा  रचित   भागवत  कथा  का   कीर्तन  करें  l    त्रिलोक  की  कोई  भी  चीज  उनके  मन  को  आकर्षित  नहीं   करेगी  ,  उन्हें  विराम  मिलेगा  तो   भगवान  की  कथा  से  l  शिष्यों  ने  मधुर  गान  किया   तो  उनकी  समाधि  टूटी  l  उन्होंने  पूछा  ---- " आप  लोग  कौन  हैं  और  यह  कथा  किसने  लिखी  ?  इसे  सुनकर  हमें  समाधि  से  भी  अधिक  तृप्ति  मिली  l "  शिष्यों  ने   कहा  --- " हमारे  गुरु  ने  ऐसे  हजारों  श्लोक    रचे  हैं  l "  ज्ञान  प्राप्ति  की  इच्छा  से  वे  वापस  लौटे  तो  आश्रम  कुछ  जाना -पहचाना  लगा  l   अपने  पिता  को  देखा  तो  ज्ञान  प्राप्ति  की  इच्छा  सामने  रखी   और  कहा   पिताश्री  --- "  भागवत  कथा  सुनने   के  लिए  पढ़  लेंगे   लेकिन  उसके  बाद  एक  दिन  भी  नहीं  रुकेंगे  l  ऐसा  ही  हुआ  , शुकदेव जी  पुन: जंगल  चले  गए  l 

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