पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ----' अपने जीवन में चाहे जितने भी रिश्ते हों , लेकिन एक रिश्ता भगवान से भी रखना चाहिए l और अपने मन की हर बात को उनसे बताना चाहिए l यह संवाद भले ही एकतरफा होता है , लेकिन जिन्दगी की बहुत सारी उलझनों को सुलझाता है l इससे हमारी भावनाओं को संबल मिलता है कि कहीं कोई है , जो हमारा ध्यान रखता है और मुसीबत के समय में हमें गिरने नहीं देता है , संभाल लेता है l ' आचार्य श्री आगे लिखते हैं ---- ' इसके साथ अपने कर्तव्य का पालन और प्रबल पुरुषार्थ करने से भी पीछे नहीं हटना चाहिए l जिन्दगी स्वयं में एक शिक्षक की तरह है , जो हर कदम पर शिक्षण देती है और देर -सबेर हमें भावनाओं के स्वस्थ विकास में मदद करती है l '
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