18 April 2013

SATISFACTION

एक युवक बड़ा परिश्रमी था | दिन भर काम करता ,शाम को जो मिलता खा -पीकर चैन की नींद सो जाता | एक दिन उसने एक धनी व्यक्ति का ठाठ -बाट देख लिया | बस नींद उड़ गई | रात भर नींद नहीं आई ,उसी के ख्वाब देखने लगा | कुछ संयोग ऐसा हुआ कि उसकी लाटरी लग गई | ढेरों धन उसे अनायास मिल गया | अब उसका सारा समय भोग -विलास में बीतने लगा | विलासिता पूर्ण जीवन जीने और श्रम न करने से वह दुर्बल होता चला गया | उसके पूर्व के मित्र भी उससे जलने लगे ,सब पैसे के प्रेमी हो गये | उसे भी किसी पर विश्वास नहीं रहा | चिंता और दोगुनी हो गई ,नींद फिर चली गई | सोचने लगा ,इससे पूर्व की जिंदगी बेहतर थी | एक दिन एक महात्मा जी उधर आये | उनसे उसने सुख और ख़ुशी का मार्ग पूछा | महात्मा ने एक शब्द कहा --'संतोष '| और आगे बढ़ गये | युवक समझ गया | सारी मुफ्त की संपति उसने एक अनाथालय और विद्दालय को दान कर दी और स्वयं एक लोकसेवी का ,परिश्रम शील जीवन जीने लगा | 

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