15 May 2013

PEACEFUL

मनुस्मृति में मानव धर्म के दस प्रधान लक्षण बताये गये हैं -धैर्य ,क्षमा ,दम ,चोरी न करना ,पवित्रता (आंतरिक एवं बाह्य ),इन्द्रिय निग्रह ,बुद्धि ,आध्यात्म विद्दा ,सत्य तथा अक्रोध |
इनमे सबसे अंतिम है -अक्रोध -यह दैवी संपदा है |
अक्रोध -का अभिप्राय है शांत चित वृति | जिस मन में उद्वेग ,चिंता .घबराहट नहीं है ,सब वृतियाँ शांत स्वरुप भगवान पर एकाग्र हैं ,जो सबसे प्रेम करता है और शत्रु तक के लिये मन में क्रोध ,ईर्ष्या के बुरे भाव नहीं हैं ,ऐसी हितैषी वृति को शांत प्रकृति कहते हैं | ऐसा शांत प्रकृति का व्यक्ति सदभावना द्वारा सभी पर दैवी प्रभाव डाला करता है |

                                 खलीफा उमर का सारा जीवन धार्मिक सेवा में ही बीता ,अंत में तो उन्हें धर्म के लिये तलवार भी उठानी पड़ी | एक दिन उनका अपने प्रतिद्वंदी से सामना हो गया | दोनों में गुत्थम -गुत्था हो गई | उमर ने उसे पछाड़ दिया और छाती पर चढ़ बैठे | जैसे ही उसका सिर काट डालने के लिये उन्होंने अपनी तलवार निकाली कि प्रतिद्वंदी ने उन्हें गाली दे दी | गाली सुनते ही खलीफा उमर उठकर खड़े हो गये और अपनी तलवार म्यान में बंद कर ली |
उनके साथ जो सैनिक थे ,उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ | उन्होंने कुछ रुष्ट स्वर में कहा -"श्रीमानजी !आपने यह क्या किया ?आपको तो इसे मार देना चाहिये था | "खलीफा उमर गंभीर हो गये और बोले -"भाई !मैंने युद्ध न्याय के लिये बिना क्रोध के किया था ,किंतु जब इसने मुझे गाली दी तो मुझे क्रोध आ गया | इस स्थिति में इसे मारने से पहले अपने क्रोध को मारना आवश्यक हो गया | अब मेरा क्रोध शांत हो गया है इसलिये दोबारा युद्ध करूँगा | "खलीफा उमर के यह निष्काम शब्द सुनकर प्रतिद्वंदी आप पराभूत होकर उनके पैरों पर गिर गया और सदैव के लिये उनका भक्त बन गया |
 बाहरी शत्रु से भी भयंकर है ,आंतरिक शत्रु | इसलिये पहले इसको जीतना चाहिये | 

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