16 November 2017

WISDOM

   श्रवणकुमार  के  माता -पिता  अंधे  थे  ,  पर  उनकी  इच्छा   तीर्थ यात्रा  की  थी  l  श्रवणकुमार  ने  आश्चर्य  से  पूछा ,  जब  आप  लोगों  को  दीखता  ही   नहीं  है  और  देव दर्शन  कर  नहीं  सकेंगे  ,  तो  ऐसी  यात्रा  से  क्या  लाभ   ?  पिता  ने  कहा ,  तात ! तीर्थयात्रा  का  उद्देश्य  देव दर्शन  ही  नहीं  है ,  वरन  लोगों  के  घर - घर  गाँव - गाँव  जाकर  जन संपर्क  साधना और  धर्मोपदेश  करना  है  l  यह  कार्य  हम  लोग  बिना  नेत्रों  के  भी  कर  सकते  है  l  इनसे  इन  दिनों  जो  निरर्थक  समय  बीतता  है  ,  उसकी  सार्थकता  बन  पड़ेगी  l  

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