2 January 2018

जिनकी संवेदना शुष्क हो जाती है वही आतंकवादी हैं

  क्योंकि  शुष्कता  में  ही  क्रूरता  का  जन्म  होता  है   l  मासूम ,  निर्दोष  और   निरीह  लोगों  को  मारकर   अपनी  कायराना  हरकतों  को  अंजाम  देना   इनका  कार्य  होता  है  l  पहले  चोर - डाकुओं  को  पहचानना  सरल  था  ,  उनकी  एक  बिरादरी  होती  थी   लेकिन  आज  वे   आम  व्यक्ति  के  समान   समाज  में  घुल - मिल  गए  हैं   l   आतंकवादी  कहीं  भी  और  किसी  भी  रूप  में  क्यों  न  रहें  ,  क्रूरता  और  निर्दयता  ही  उनका  परिचय  है  l  उनके  ह्रदय  में  मानवता  नहीं  होती  है   l 
  आतंकवादी  की  मानसिकता  को  समझाने  वाली  एक  घटना  है -----  महाभारत  के  युद्ध   के  समय  की  घटना  है  ---- द्रोणपुत्र  अश्वत्थामा  ने  ब्रह्मास्त्र  से   उत्तरा  के  गर्भस्थ  शिशु  को  मार  डाला  l  इस  अमानवीय   कृत्य  से  सभी  चीत्कार  कर  उठे   l  द्रोपदी  ने  इसका  बदला  लेने  के  लिए  भीम से  कहा  , अश्वत्थामा  को  उचित  दंड  देने  का  निवेदन  किया  l  परन्तु  परम  नीतिज्ञ  भगवान  श्रीकृष्ण  ने  भीम  को  अश्वत्थामा  के  पास  जाने  से  रोका  और  कहा  कि  इस  समय  अश्वत्थामा  राक्षस  बन  गया  है  l  वह  अपनी  सभी  मर्यादाओं  और  नीतियों  को  भुलाकर  दानव  की साक्षात्  मूर्ति  बन  गया  है  l  वह  भीम  को  भी  मार  सकता  है  ,  इस  मन:स्थिति  में  उससे   मानवीयता  की  उम्मीद  नहीं  की  जा  सकती  l  ठीक  यही  मानसिकता  आतंकवादियों  की  होती  है  l 
  ऐसे  ही  आतंकवादी  आज  समाज  में  घुल - मिलकर  रहते  हैं   और  अपनी  ऐसी  क्रूर  मानसिकता  के  कारण    अमानवीय  घटनाओं  को  अंजाम  देते  हैं  l 
  साहस   सदभाव  के   अभाव    के  कारण  अनीति  और  अत्याचार  सिर  उठाने  लगते  हैं  l   दृढ  इच्छा शक्ति  और  साहस   तथा  गहरी  समझ  के  साथ  ही   इस  समस्या  को  हल  किया  जा  सकता  है  l 

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