3 March 2018

WISDOM ------ विचार क्रान्ति आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है

  विचारों  की  शक्ति  बड़ी  प्रबल  मानी  गई  है  l  जितनी  भी  बड़ी  क्रांतियाँ  हुईं ,  वे  सशक्त  विचारों  द्वारा  ही  हुई  हैं  l   साम्यवाद - समाजवाद   तथा  नाजीवाद -- कार्ल मार्क्स , रूसो   एवं  हिटलर  द्वारा  फैलाये  गए   विचारों  के   सशक्त  प्रस्तुतीकरण   द्वारा  ही  विस्तार  पा  सके  l  नीत्से  ने  भी  अपनी  नास्तिकवाद  की  विचारधारा    को  अपने  साहित्य  द्वारा  फैलाया  l 
  विचार  क्रांति  कर  देते  हैं  ,  जमाने  को  बदल  देते  हैं   l 
आज  साम्यवाद - समाजवाद  और  नाजीवाद -- इन  तीनों  में  से  कोई  भी  वाद   अपना  स्थान  समाज  में  चिरस्थायी   नहीं  रखने  के  कारण  जिन्दा  न  रह  सके   तो  उसका  मूल  कारण  है  --- उसका  आधार   नैतिकता - अध्यात्मवाद  न  होना  l  जहाँ  भी  आधार  अध्यात्म प्रधान  होगा  ,  वह  प्रभाव  फैलकर  ही  रहेगा  l  चाहे  उस  विचार  का  प्रवर्तक   मौन  कक्ष  में  बैठा  रहे  ,  अपनी  लेखनी  चलाता  रहे   अथवा  कठोर  तप  में  लीन  रहे  ,  विचार  उसकी  दीवारों  को  फोड़कर  निकलेंगे  और  क्रांति  करेंगे   l  
  आज   के  इस  भौतिकवादी  युग  में    जीवन  में  आसुरी  सम्पदा  बढ़ती  जा  रही  है  l  छल - प्रपंच - दिखावा  बढ़ता  जा  रहा  है  l   स्वार्थ ,  धन  और  पद  के  लालच  में   मनुष्य  संवेदनहीन  हो  गया  है  l  आज  के  समय  में  अपनी  समस्याओं  को  लेकर  किसी  के  आगे  रोना ,  दुःख  बताना  ऐसा  है  जैसे  '  अंधे  के  आगे  रोवे  अपना  दीदा  खोवे  "  l 
   असुरता  से  जीतने  के  लिए  हमें  दैवी  सम्पदा  को  जीवन  में  उतारने  की  जरुरत  है  l  इसके  लिए  कर्मकांड  ,  बाह्य  आडम्बर  जरुरी  नहीं  है  l  हम  कर्मठ  बने , परिश्रमी  बने  l  दैवीय  गुणों  को  अपने  जीवन  में  उतारें   l  आज  के  युग  में  भी  यह  संभव  है  ,  जो  सद्गुणों  को  अपनाते  हैं , उनके  जीवन  में  शांति  है , प्रगति  भी  है  और  सुख - समृद्धि  भी  है  l 
     आज  की   शिक्षा    से  हमें  केवल   पुस्तकीय  ज्ञान   मिलता  है  ,  यह  शिक्षा    हमें  जीवन  जीना  नहीं  सिखाती  l  जब  हम  सद्गुणों  को  अपने  जीवन  में  उतारते  हैं ,  सच्चे    अर्थ  में  अध्यात्मिक   बनते  हैं    तब  दैवीय  कृपा  से   हमारा  विवेक  जाग्रत    है ,  जीवन  को  सही  दिशा  मिलती  है  और  तब  हमारी  शिक्षा    भी  सार्थक  हो   जाती  है  l  

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