19 July 2018

WISDOM ---- मूर्द्धन्यजनों की ईर्ष्या अन्यों की अपेक्षा अधिक घातक और व्यापक परिणाम प्रस्तुत करती है

  एक  बार  वैशाली  क्षेत्र  में  दुष्ट - दुराचारियों  का  आतंक  इतना  बढ़ा  कि  उस  प्रदेश  में  भले आदमियों  का  रहना  कठिन  हो   गया  l  लोग  घर  छोड़कर  अन्यत्र  सुरक्षित  स्थानों  के  लिए  पलायन  करने  लगे  l   इन  भागने  वालों  में  ब्राह्मण  समुदाय  का  भी  बड़ा  वर्ग  था   l  वैशाली  के  ब्राह्मणों  ने  महर्षि  गौतम  के  आश्रम  में  रहना  उचित  समझा  l  वे  पहुंचे ,  आश्रय  मिल  गया  l वहां  न  कोई   कष्ट  था , न  भय  l 
   एक  दिन  महर्षि  नारद  उधर  से  निकले  ,  कुछ  समय   महर्षि  गौतम  के  आश्रम  में  रुके  l  इस  समुदाय  के  संरक्षण  की  नयी  व्यवस्था  देखकर  वे  बहुत  प्रसन्न  हुए  और   महर्षि  गौतम  की  उदारता  की  बहुत  प्रशंसा  करने  लगे   l 
  नारदजी   द्वारा    महर्षि  गौतम   की  इतनी  प्रशंसा   ब्राह्मण  समुदाय  से  देखी    न  गई  l  वे  ईर्ष्या  की  आग  में  जलने  लगे  l   आपस  में  यह  चर्चा  करने  लगे  कि  हमने  ही  उन्हें  यह  यश  दिलाया ,  हम  लोगों  के  यहाँ  आकर  रहने  से  ही  गौतम  ने  इतना  यश  कमाया  ,  अब  हम  ही  अपना  पुरुषार्थ  दिखाकर   उन्हें  नीचा  दिखायेंगे  l  
  षड्यन्त्र  रचा  गया   l  रातोंरात  मृत  गाय   आश्रम  के  आंगन  मे  डाली  गई   l  कुहराम  मच  गया  l  यह  गौतम  ने   मारी  है  l  हत्यारा  है ,  पापी  है  ,इसका  भंडाफोड़  करेंगे   l 
  गौतम  योग  साधना  से  उठे   और  यह  कुतूहल  देखकर   अवाक्  रह  गए  ,  उन्होंने  इन  आगंतुकों  को  विदा  करने  का  निश्चय  किया  और  कहा ----  " आप  लोग  जहाँ  रहते  थे  वहीँ  चले  जाएँ  l  अपनी   ईर्ष्या  से  जिस  क्षेत्र  को  कलुषित  किया   था  ,  उसे  स्नेह - सौजन्य  के  सहारे  सुधारने  का  नए  सिरे  से  प्रयत्न  करें   l  "  समुदाय  ने  ऋषि  की  बात  मानी   और  कलुषित  क्षेत्र  पुन:  पवित्र  हो  गया   l   

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