24 August 2018

WISDOM ------ संगठन की शक्ति अपार है

    पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य  ने   अखण्ड  ज्योति  में  लिखा  है  कि ---- दुर्भाग्य  से  आज  संगठन  कुचक्र  का  पर्याय  बन  गए  हैं   l  जिसमे  फंसकर   मानवीय  शक्ति  ही  नहीं   स्वयं  मानवता  भी  रो - तड़पकर   नष्ट  होने  के  लिए   विवश  हो  रही  है   l  '  उन्ही  के  शब्दों  में ----- "   खेद  इस  बात  का  है  कि  मानव  जाति  ने   छुट - पुट  संगठन  बनाने  के  अस्त - व्यस्त  प्रयत्न  तो  किये   पर   जन  समाज  की  एकता  और  संघ   बद्धता  पर  ध्यान  नहीं  दिया  l   आधार  और  स्वार्थ  अलग - अलग  होने  से   वे   वर्ग , वर्ण , देश , सम्प्रदाय   आदि  के  आधार  पर    परस्पर  टकराते  रहे  और    संकट  उत्पन्न  करते  रहे   l   किसी  तरह    निजी  स्वार्थों  के  लिए   मानवीय    शक्ति  के  शोषण  का   षड्यंत्र   है    l  जिसमे  लिप्त  कुछ  चालाक  और  तिकड़मबाज  व्यक्ति     दूसरों  की  बुद्धि , श्रम ,  एवं  धन  का    निजी  महत्वाकांक्षा    की     पूर्ति  के  लिए   बेरहमी  से  दुरूपयोग  करते  हैं   l  इसके  परिणाम  में  घ्रणा  और  विद्वेष  ही  पनपते  हैं    और  मानवीय  समस्याएं   समाप्त  होने  के  स्थान  पर    बढ़ती  ही  जाती  हैं    l    सच्चा  और  स्थिर  लाभ   तभी  हो  सकता  है    जब  वे  समग्र  रूप  से  एक  आधार  पर  संगठित  हों   l "

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