20 September 2018

WISDOM ---- करुणा के साथ संकल्प जुड़ना चाहिए

  दुःखियों  को  देखकर  आंसू  बहाने  वाले  तो  ढेरों  हैं  ,  दुःख  को  मिटाने  का ,  समस्या  के  समाधान  का  संकल्प  जरुरी  है   l
 समाज  में  जब  भी  कोई  ह्रदय - विदारक  घटना  घटती  है  ,  अनेक  लोग  --सामान्य  से  लेकर  अनेक  प्रतिष्ठित  लोग  सहानुभूति  जताने ,  आंसू  बहाने पहुँच  जाते  हैं  I जुलूस  निकालते  हैं ,  नारेबाजी  करते  हैं  लेकिन  दुष्टता  को  मिटाने  का  ,  पापियों  के  अंत  का  संकल्प  कोई  नहीं  लेता  I  इस  कारण  दुःखद  घटनाओं  की  पुनरावृति  होती  है   I
 श्री रामचरितमानस  में  एक   प्रकरण  है ,  ऋषियों  की अस्थियों  के  समूह  को  देखकर   भगवान  राम  व्याकुल  हो  गए  l  अरण्यकाण्ड  में  गोस्वामीजी  लिखते  हैं  -----
      अस्थि  समूह  देख  रघुराया  I  पूछी  मुनिन्ह   लागि  अति   दाया  I I
      निसिचर  निकर  सकल  मुनि  खाए  I  सुनि  रघुबीर  नयन  जल  छाए   II
 रघुनाथजी  की  आँखों  में  यह  द्रश्य  देखकर   आंसू  आ  गए  l  वे  द्रवित  हो  उठे   और  तुरंत  उन्होंने  घोषणा  की ----
  निसिचर  हीन   करऊँ  महि  भुज  उठाइ  पन  कीन्ह
 सकल  मुनिन्ह  के  आश्रमहिं  जाइ  जाइ  सुख  दीन्ह  I
    सारी  धरती  को   राक्षसों  से  विहीन  करने  की   उनने  भुजा  उठाकर   प्रण  के  साथ  घोषणा  की  l
  भगवान  राम  की  सच्ची  भक्ति  यही  है  कि  करुणा , दया  को  दिखाकर  ,  सबको  प्रभावित  करके   नहीं  रह  जाना  चाहिए  I   करुणा  संकल्प  के  साथ   जुड़नी  चाहिए   और  फिर  सक्रियता  में  बदलनी  चाहिए  , तभी  उसकी  सार्थकता  है   I

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