23 September 2018

WISDOM ------ जीवन को समृद्ध, निष्कलंक एवं पूर्ण बनाने के लिए व्यक्ति को आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर होना चाहिए

  प्राय:  यह  देखने  में  आता  है  कि  समाज  के  कतिपय  गणमान्य  एवं  धनी  कहे  जाने  वाले  व्यक्ति  भी   परावलम्बन  के  शिकार  होते  हैं   I बड़े - बड़े  सेठ  अपने  मुनीमों  के  वश  में  इसलिए  रहते  हैं   क्योंकि  उनमे  कार्य कुशलता  और  वह  वाकपटुता  नहीं  होती   जिसकी  आज  के  व्यापार  जगत  में  आवश्यकता  है  I  इसी  तरह  शासन  में  ,  अनेक  बड़ी  संस्थाओं  में   कई  उच्च अधिकारी   स्वयं  निर्णय  लेने  की  असमर्थता  के   कारण   और   आधुनिक  तकनीक  का  ज्ञान  न  होने  के   कारण  वे  अपने  आधीन  कर्मचारियों   के  आश्रित   रहते  हैं  I  इससे  उनकी  स्वतंत्र  सत्ता   हमेशा  खतरे  में  पड़ी  रहती  है  I
  परावलम्बी  व्यक्ति  के  पास  न  अपना  विवेक  होता  है  और  न  अपनी बुद्धि    इसलिए  किसी  भी  आपातकालीन  स्थिति में   स्वयं  निर्णय  लेने  की  क्षमता  उनमे  नहीं  होती  l  जब  आत्म  निर्णय  का  गुण  नष्ट  हो  जाता  है  तो  पराधीन  व्यक्ति   दीन - हीन  दिखाई  देने  लगता  है  l  महारानी  कैकेई  का  उदाहरण  है  कि  महारानी  होते  हुए  भी   दासी  मंथरा  की  कुबुद्धि  का  सहारा  लिया  l  विवेक  और  चातुर्य  के  अभाव   के  कारण  ही   महारानी  कैकेई  को  कितना  दारुण  दुःख  सहन  करना  पड़ा  l   ऐसा  सामाजिक   परावलम्बन  स्वयं  उस  व्यक्ति  के  लिए   और  सम्पूर्ण  समाज  के  लिए  घातक  होता  है   l

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