17 September 2019

WISDOM -----

  पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य  ने  लिखा  है  ---- ' जिस  तरह   इस स्रष्टि  में   दिन  के  बाद  रात  आती है  और  रात  के  बाद  पुन:  सवेरा  ,  वैसे  ही  यह  चक्र  लगातार  चलता  रहता  है  l  इसी  तरह  जीवन  में   यदि  सुख  है  ,  तो  दुःख  भी   आता  है  l  यदि  सफलता  है ,  तो  असफलता  का  भी  स्वाद  मिलता  है  l  यदि  प्रसन्नता  है ,  तो  विषाद  भी  जीवन  में  कभी  न  कभी  आता  है  l  यदि  सम्मान  है  ,  तो  अपमान  का  दंश  भी  सहना  होता  है  l  '   आचार्य  श्री  ने  आगे  लिखा  है ---- "  जिस  तरह    रात्रि  को  हम  दिन  में  नहीं  बदल  सकते  ,  लेकिन  विद्युत  के माध्यम  से  बल्ब  जलाकर  अंधकार  को  दूर  कर  सकते  हैं  ,  उसी  तरह  हम  दुःख ,  कष्ट ,  पीड़ा ,  अपयश   आदि  के  आने  पर  इन्हें  तुरंत  दूर  नहीं  कर  सकते  ,  लेकिन  इन  परिस्थितियों  में    भगवदस्मरण   करते  हुए  शुभ  कर्म  कर  के    इनसे  लाभान्वित    भी  हो  सकते  हैं  l 
  जीवन  को  यदि  सही  मायने  में  समझना  है   तो  इस  संसार  के  नकारात्मक  व  कष्टदायी   दीखने  वाले  तत्वों  को  सकारात्मक  द्रष्टि  से  देखना  चाहिए   और  इनसे  भी  लाभान्वित  होना  चाहिए  ,  क्योंकि  ये  सभी  तत्व  जीवन  को  निखारते  व  सँवारते  हैं   l

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