4 December 2019

  रामकृष्ण  परमहंस  कहते  हैं --- ' ईश्वर  दो  बार  हँसते  हैं  l  एक  बार  उस  समय  हँसते  हैं   जब  दो  भाई  जमीन    बांटते  हैं  और  रस्सी  से  नापकर  कहते  हैं  --- 'इस  ओर   की  जमीन    मेरी  है   और  उस  ओर   की  तुम्हारी  l "  ईश्वर  यह  सोचकर  हँसते  हैं  कि   संसार  है  तो  मेरा   और  ये  लोग   थोड़ी  सी  मिटटी  लेकर   इस  ओर   की  मेरी ,  और  उस  ओर   की  तुम्हारी   कर  रहे  हैं  l
फिर  ईश्वर  एक  बार  और  हँसते  हैं   l   बच्चे  की  बीमारी  बढ़ी  हुई  है  ,  उसकी  माँ  रो  रही  है   l वैद्द्य  आकर  कहता  है  --- " डरने  की  क्या  बात  है  , माँ  , मैं  अच्छा  कर  दूंगा  l  "  वैद्द्य  नहीं  जानता   कि   यदि  ईश्वर   मारना  चाहे   तो  किस  की  शक्ति  है  ,  जो  अच्छा  कर  सके 

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