19 December 2019

WISDOM ------

   पं. श्रीराम  शर्मा आचार्य जी ने  वाङ्मय  पृष्ठ  १. १ ४   पर  लिखा  है ---- ' हम  निश्चित  रूप  से  इन  दिनों विषम  परिस्थितियों  के  बीच  रह  रहे  हैं   l   पौराणिक  विवेचन  के  अनुसार  इसे  असुरता  के  हाथों  देवत्व  का  पराभव  होना  कहा  जा  सकता  है  l   कभी  हिरण्याक्ष , हिरण्यकश्यपु , वृत्तासुर , भस्मासुर , रावण , कंस  आदि  ने  आतंक  उत्पन्न  किये  थे  और  देवताओं  को  खदेड़  दिया  था  l   उन  दिनों  शासक  वर्ग  का  ही  आतंक  था  ,  पर  आज  तो  राजा - रंक  , धनी - निर्धन , शिक्षित - अशिक्षित  सभी  एक  राह  पर  चल  रहे  हैं  l  छद्म  और  अनाचार  ही  सबका  इष्टदेव  बन  चला  है  l   नीति   और  मर्यादा  का  पक्ष  दिनों  दिन  दुर्बल  होता  जाता  है  l   उपाय  दो  ही  हैं --- एक  यह  कि   शुतुरमुर्ग  की  तरह  आँख  बंद  कर  के   भवितव्यता  के  सामने  सिर   झुका  दिया  जाये  ,  जो  होना  है  उसे  होने  दिया  जाये  l  दूसरा  यह  कि  जो  सामर्थ्य  के  अंतर्गत  है  ,  उसे  करने  में  कुछ  न  उठा  रखा  जाये   l '

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