7 April 2020

WISDOM ----- संयमी व्यक्ति जी जीवन में सच्चे अर्थों में सफल होता है , स्वस्थ रहता है ---- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

     आचार्य श्री  ने  लिखा  है  ---  संयम  हमारी  जीवनीशक्ति  को  संचित  करने  के  साथ - साथ   हमारे  स्वास्थ्य  का  संरक्षण  भी  करता  है  l  संयम  के  माध्यम  से  हमारी  ऊर्जा  का  व्यर्थ  अपव्यय  नहीं  होता  , बल्कि  इस  पर  नियंत्रण  होता  है  l  संयम  के  माध्यम  से  हमें  न  केवल  शारीरिक  और  मानसिक  स्वास्थ्य  की  प्राप्ति  होती  है  ,  बल्कि  इसके  द्वारा  विवेक  का  जागरण  होता  है  ,  जिससे  हम  अपनी  ऊर्जाओं  और  क्षमताओं  का  सही  सदुपयोग  कर  पाते  हैं  l 
  श्रीमदभगवद्गीता  में    भगवान   श्रीकृष्ण  अर्जुन  को  कहते  हैं ---- अशांतस्य  कुत: सुखम   अर्थात   अशांत   व्यक्ति   कभी  भी  सुखी  नहीं  रह  सकता   l   भौतिक  सुख सुविधाएँ   और   बौद्धिक  ज्ञान - विज्ञान ,  दोनों  ही  व्यक्ति  को  आंतरिक  शांति  नहीं  दे  सकते   l   धन  और  सुविधाएँ   व्यक्ति  को  शारीरिक  सुख  तो  दे  सकते  हैं  , किन्तु   आत्मिक  आनंद  नहीं   l  सच्ची  शांति  और  आनंद  तो  केवल  संयम  और  संतोष  से  ही  मिलता  है   l 
आचार्य श्री  का  कहना  है ---" शरीर  को  स्वस्थ   रखने  का  एकमात्र  साधन   इंद्रिय   संयम  है  l 
अस्वस्थ  शरीर  के  रहते  हुए  कितना  भी  भौतिक  सुख   उपलब्ध  हो  , शरीर  का  दुःख , कष्ट  उस  सुख  को  नगण्य  बना  देते  हैं  l  इन्द्रियों  के  माध्यम  से  हमारी  ऊर्जा  का  निरंतर  क्षरण  होता  रहता  है  l   यदि  इन  पर  संयम  किया  जाये   तो  अनावश्यक  व्यर्थ  होने  वाली  ऊर्जा  का  क्षरण  रुकेगा   और  वह  ऊर्जा  शरीर  को  स्वस्थ  व  पुष्ट  रखेगी   l  "
   वर्ष   1918  में  जब  स्पेनिश  फ्लू  फैला  था  ,  तब  गांधीजी  भी  इससे  संक्रमित  हो  गए  थे   तब  उन्होंने   संयम ,  एकांतवास ,  मौन  और  खान - पान  पर  नियंत्रण  से  ही  स्वयं  को  स्वस्थ  किया  l   कोई  कैसे  स्वस्थ  हो  सकता  है ,  यह  उन्होंने  अपने  आचरण  से  संसार  को  दिखाया  l 

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