22 January 2022

WISDOM ------

   इस  संसार  में  हर  युग  में  किसी  न  किसी  रूप  में  देवासुर  संग्राम   होता  रहा  है   l  असुरता   कभी  नहीं  चाहती  कि   देवत्व  शक्तिशाली  हो  ,  इसलिए  वह  किसी  न  किसी  तरह  देवत्व  को  कमजोर  करने  के  प्रयास   करते   रहते  हैं  l   आज  का  युग  ज्ञान - विज्ञान   का  युग  है  ,  परिश्रम  करने  और  कर्मयोगी  बनने  का  युग  है  l   लेकिन  यदि  लोग   ज्ञानी  और  कर्मयोगी  हो  गए  तो  वे  असुरता   को  समझ  जायेंगे  और  उसे  मिटा  देंगे  l   इसलिए  असुरता  ऐसे  हथकंडे  अपनाती  है   कि   लोगों  के  ज्ञान  प्राप्त  करने  में  अनेक  बाधाएं   उपस्थित  हो  जाएँ , ज्ञान  ही  नहीं  होगा  तो   वे जागरूक  भी  नहीं  होंगे  ,  इससे  असुरता  को  अपना   वर्चस्व  कायम  करना  आसान  होगा  l    इस  सत्य  को   स्पष्ट  करने  वाली  एक  लघु  कथा  है  -----   सतयुग  धरती  की  ओर   बढ़  रहा  था   l   यह  देखकर  कलियुग  ने  अपने  सहायकों  की  सभा   बुलाई  l   किसी  ने  कहा ,  मैं  पृथ्वी  पर  जाकर  धन  का  लालच  फैला  दूंगा  ,  किसी  ने  कहा  ,  हम  लोगों  को  कामनाओं  में  फंसा  देंगे   l   किसी  ने  कामिनी  का  दर्प  दिखाया  ,  पर  कलि   को  संतोष  न  हुआ   l   एक  बुड्ढा   सहायक  एक  कोने  में  बैठा  था  ,  वह  बोला -----  मैं  जाकर  लोगों  में   निराशा  और  आलस्य  पैदा  कर  दूंगा  l   उनके  साहस  को  नष्ट  कर  दूंगा  ,  बस ,  फिर  वे  किसी  काम  के  न  रहेंगे   और  न  वे  किसी   बुराई  को  दूर  करने   के  लिए   संघर्ष  कर  सकेंगे    और  न  ही  किसी  अच्छाई  को  उपार्जित  करने  का   साहस  उनमे  रहेगा   l   इस  वृद्ध  सहायक  की  बात  कलि   महाराज  को  बहुत  पसंद  आई  ,  उन्होंने  इसे  राज्य  में  प्रमुख  पद  दे  दिया   l   आज  के  निराश  और  आलसी  लोग   कलि   महाराज  की  प्रजा  बने  हुए  हैं   l   इन  परिस्थितियों  में  बेचारा  सतयुग   कहाँ   ?

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