7 January 2022

WISDOM ------

   प्रकृति  हमें  अपने  तरीके  से  जीवन  जीने  की  कला  सिखाती  है  l   एक  व्यक्ति  ने  सुन  रखा  था  कि   आम  के  फल  में  बहुत  मिठास  होती  है  ,  उसने  सोचा  क्यों  न  घर  में  ही  आम  का  पेड़  लगाया  जाये  l   कहीं  से  एक  पौधा  ले  आया  ,  उसकी  बहुत  हिफाजत  की , खाद - पानी  दिया  ,  अपने  जीवन  का  बहुमूल्य  समय  उसकी  देख- रेख  में   ही  गुजार  दिया  ,  पेड़  बड़ा  हो  गया   लेकिन  उसमे  फल  नहीं  आये ,  उसमें  तो  कांटे  ही  कांटे  थे  ,  विशेषज्ञ  को  दिखाया  तो  पता  चला  कि   वह  तो  बबूल   का   पेड़  है  l   यही  स्थिति  संसार  में  है   l   आज  जो  संसार  में  षड्यंत्र  करते , अपराध , अत्याचार  और  अन्याय  करते   हैं  उनके  जीवन  को  गहराई  से  समझने  की  जरुरत   है ,  जो  बीज  , जिससे  यह  वृक्ष  बना  वह  वास्तव  में  क्या  था  ?   अधिकांश लोग  अपने  चेहरे  पर  एक  मुखौटा  लगाए  हैं  ,  जैसे  वे  दीखते  हैं  ,  वास्तव  में  वे  वैसे  हैं  नहीं  l   और  जैसे  वो  वास्तव  में  हैं  ,  वे  लक्षण   संस्कार  रूप  में  आगे  आने  वाली  पीढ़ियों  में  आ  जाते  हैं  l   पढ़ाई - लिखाई   से  व्यक्ति  सभ्य  तो  बन  जाता  है   लेकिन  जिस  पल  संस्कार  प्रबल  हो  जाते  हैं  तब  असली  रूप  सामने  आ  जाता  है  l यह  सत्य  महाभारत  में  भी  उजागर  हुआ  है  l  ऋषि  का  श्राप  मिलने  की  वजह  से  महाराज  पाण्डु   पितामह  भीष्म  के  संरक्षण  में  धृतराष्ट्र   को  सिंहासन  सौंपकर  वन  चले  गए  l  धृतराष्ट्र  की  आँखें  नहीं  थीं  तो  क्या  हुआ  ,  उनका  लालच , उनकी  कामनाएं  समाप्त     नहीं  हुईं  थीं  , उन्हें  सिंहासन  की  आदत  बन  गई  थी ,  यही  लालच  दुर्योधन  में  था  ,  वह  अपने  पिता  के  साथ  मिलकर    सुई  की  नोक  बराबर  भूमि  भी  पांडवों  को  देना  नहीं  चाहता  था  l    कौरव , पांडवों  को  गुरु  द्रोणाचार्य  ने  एक  जैसी  शिक्षा  दी  , पांडव  सत्य ,नीति   और  धर्म  के  पथ  पर  चले  लेकिन  दुर्योधन   पितामह  भीष्म , कृपाचार्य , महात्मा  विदुर ,  गांधारी  जैसी  पतिव्रता  माँ  के  संरक्षण  में  रहकर  भी  कौरव  वंश  के  समूल  नाश  का  कारण  बना  l 

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