23 February 2022

WISDOM-------

    पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- ' ईश्वर  का  प्यार  केवल   सदाचारी  व  कर्तव्य परायणों  के  लिए  सुरक्षित  है   l   '     कहते  हैं  सनंदन    आचार्य  शंकर के  प्रथम  दीक्षित  शिष्य  थे  l   एक  दिन  की  बात  है  सनंदन   किसी  काम  से    अलकनंदा  नदी  के  उस  पार   पुल   से  होकर  गए  थे   l    तभी   आचार्य  शंकर  ने  सनंदन   को   बड़े  ही  करुण   स्वर  में  पुकारना  शुरू  किया   l   गुरु  की  पुकार  सुनकर    सनंदन   बेचैन  हो  गए   ,  उन्होंने  सोचा   गुरु  अवश्य  किसी  मुसीबत   में  होंगे   , यदि  मैंने  पुल   का  रास्ता  अपनाया  तो  पहुँचने   में  देर  हो  जाएगी   l     नदी  का  प्रवाह  बड़ा  प्रबल  था   l  लेकिन  उनके  मन  में  गुरु  के  प्रति  अगाध  श्रद्धा  थी   , अत:  उन्होंने  उफनती  अलकनंदा  में  छलांग  लगा  दी  l  गुरु भक्ति  देखकर  अलकनंदा   ने  भी  उनकी  मदद  की   और  सनंदन   के  प्रत्येक  कदम  के  नीचे    कमल  के  फूल  खिला  दिए   l   जिन  पर  पैर   रखते  हुए   वे  तुरंत  ही   आचार्य  शंकर  के  पास  पहुँच  गए   l  अन्य  सभी  शिष्य  इस  अलौकिक  घटना  को   देखकर   आश्चर्य चकित  रह  गए   l    आचार्य  शंकर  ने  कहा ---- " आज  से  सनंदन   पद्मपाद   के  नाम  से  प्रसिद्ध   होंगे   l  "  गुरु  कृपा  ही  भवसागर   को  पार  करने  का  एकमात्र  उपाय  है   l 

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