30 March 2022

WISDOM -----

   संसार  में   अशांति  और  तनाव  तब  तक  बना  रहेगा   जब  तक  धन - वैभव  के  आधार  पर  व्यक्ति   और  किसी  राष्ट्र  का  मूल्यांकन  किया  जायेगा   l   धन  जीवन  के  लिए  जरुरी  है  ,  लेकिन  इसे  ही  सब  कुछ  समझने  की  भूल  ने   मनुष्य  की  बुद्धि   को  विपरीत  कर  दिया  है  l   अब  वह   अपना  ही  दुश्मन  बन  गया  है  ,  अपने  ही  द्वारा  किये  गए  विकास  को  नष्ट  कर  के   पत्थर - युग  में  जाने  की  तैयारी   कर  रहा  है ,  -- बात   उन  दिनों  की  है   जब  स्वामी  विवेकानंद  की  ख्याति   पूरी  दुनिया  में  फ़ैल  चुकी  थी   l   एक  दिन  स्वामी जी  के   एक  अमेरिकी  शिष्य  ने   उनसे  कहा --- " मैं  आपके  गुरु  को  देखना  चाहता  हूँ   l   मैं  जानना  चाहता  हूँ   कि   आखिर  कैसा  होगा  वह  व्यक्ति  ,  जिसने  आप  जैसे  शिष्य  को  तैयार  किया  ? "  स्वामी जी  ने   उस  अमेरिकी  शिष्य  को   रामकृष्ण परमहंस  का  फोटो  दिखाया   l   स्वामी  रामकृष्ण  परमहंस  के  फोटो  के  देखकर  वह  बोला ---- " मुझे  ऐसा  लगता   था   कि   आपके  गुरु   अत्यंत  विद्वान्  व  सभ्य  होंगे  ,  परन्तु  फोटो  से  मुझे  ऐसा  प्रतीत  नहीं  होता  l  "  शिष्य  की  बात  सुनकर  स्वामी जी  बोले ---- " तुम्हारे  देश  में  सभ्य  पुरुषों   का निर्माण  दरजी  करता  है  ,  जबकि  हमारे  देश  में   सभ्य  पुरुषों  का  निर्माण  आचार - विचार  करते  हैं   l   इस  कसौटी  पर  कसकर  बताओ    कि   तुम्हारे  मुल्क  के   सूट - बूटधारी   जेंटलमैन  सभ्य  हैं  या   मेरे  गुरु  परमहंस  ? "  वह  अमेरिकी  शिष्य  स्वामीजी  की  इस  व्याख्या  को  सुनकर  निरुत्तर  हो  गया   और  उसने  स्वीकार  किया  कि   स्वामीजी  के  उदाहरण  से    उसे  व्यक्तियों  को  परखने  की  नई   दृष्टि  मिली  l  

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