1 July 2022

WISDOM ------

   श्रीमद भगवद्गीता  में  भगवान  कहते  हैं  --- प्रत्येक  व्यक्ति  में  सतोगुण , रजोगुण  और   तमोगुण   होता  है  ,  जब  एक  गुण  बढ़ता  है  तब  शेष  दो  गौण   हो  जाते  हैं  l ----  जैसे  जब  व्यक्ति  क्रोध  करता  है  तो  उसका  मन  का  सुख -शांति  सब  चले  जाते  हैं  l   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  --- मनुष्य  का  मन  भिखारी  की  तरह  है  , सदा  कुछ  मांगता  ही  रहता  है   l  जितना  कुछ  पाने  की  लालसा , लोभ  बढ़ता  है  -- उतना  ही  मनुष्य   उसे   -भिन्न - भिन्न   तरीकों  से  पाने  का  प्रयत्न  करता  है   l   इनसे  भी  जब   मन  की  सारी  कामनाएं  पूर्ण  नहीं  हो  पातीं  तो  वह   बहुत  अशांत  और  तनावग्रस्त  हो  जाता  है  l  आचार्य श्री  कहते  हैं ---यदि  व्यक्ति  में  लोभ , लालसा , महत्वाकांक्षा   नियंत्रण  से  बाहर  हो  जाये  तो  व्यक्ति     पूर्णतया    विक्षिप्त  हो  जायेगा  l   पुराण  में  महाराज  ययाति  की  कथा  है  ,  उन्होंने  सौ  वर्ष  का  जीवन  जी  लिया  तब   यमराज    उन्हें  लेने  आ  गए   l  ययाति  उनके  आगे  गिडगिडाने  लगे  कि कि  अभी  मेरी  लालसाएं  पूरी  नहीं  हुई  हैं  ,  कृपया  उन्हें  पूरा  करने  के  लिए  एक  मौका  और  दें   l  यमदूत  बोले ---यदि  तुम्हारा  कोई  पुत्र  तुम्हे  अपनी  आयु   दे  दे  ,  तो  तुम  उसकी  आयु  का  भोग   कर  लेना   l  '  सबने  तो  मना  कर  दिया  ,  एक  पुत्र  को  दया  आ  गई  ,  उसने  अपनी  आयु  दान  दे  दी  l  वह  स्वयं  बूढ़ा  हो  गया   और  ययाति  भोग -विलास  में  मगन  हो  गए  l  यह  अवधि  समाप्त  होने  पर  फिर  यमदूत  आए ,  ययाति    फिर   उनसे  दीनता पूर्वक  विनती  करने  लगे  ,  पुन:  किसी  ने  अपनी  आयु  दे  दी   l  ऐसा  हजार  वर्षों  तक  होता  रहा    किन्तु  ययाति  का  मन  नहीं  भरा    और  अंत  में  वे  विक्षिप्त  जैसे  हो  गए   l    इस  कथा  से  यही  शिक्षा  है --- हम  अपनी  इच्छाओं , कामना ,  लोभ  , लालसा  पर  नियंत्रण  रखें   क्योंकि  ये  कभी  तृप्त  नहीं  होतीं   l 

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