15 July 2022

WISDOM ------

     ऋषियों  का  कहना  है  कि  संस्कारों  में  परिवर्तन  बहुत  कठिन  कार्य  है  l  शिक्षा  से , धन - वैभव  आ  जाने  से , पद -प्रतिष्ठा  मिल  जाने  से  संस्कार  परिवर्तित  नहीं  होते   l  संस्कारों  में  परिवर्तन  के  लिए  समर्थ  गुरु  के  संरक्षण  में  तप - साधना  की  जरुरत  होती  है  l   इसे  सरल  शब्दों  में  कहें  तो    यदि  कोई  वर्तमान  में  अपराधी  है , हत्या ,  दुष्कर्म ,  डकैती ,  किसी  का  हक  छीनना  ,  छल , कपट , षड्यंत्र , अपने  ही  परिवार  के  साथ धोखा , व्यभिचार   जैसे  अपराधों  में  संलग्न  है  ,  तो  यदि  ईमानदारी  और  निष्पक्ष  भाव  से  सर्वेक्षण  किया  जाए  तो  ये  अपराध   उसकी  पिछली  तीन -चार  पीढ़ियों   में  किसी  न  किसी  सदस्य  ने   अवश्य  किए    होंगे   l   समय  के  साथ  उन  अपराधों  को  करने  का  तरीका  बदल  जाता  है  l  जब  व्यक्ति   स्वयं  सन्मार्ग  पर  चलने  का  संकल्प  ले  , निष्काम कर्म ,सेवा  करे  फिर  गुरु कृपा  से   सुधार  संभव  है  अन्यथा  यही   पैटर्न  पीढ़ी -दर -पीढ़ी  चलता  रहता  है   l  इसी  तथ्य  को  स्पष्ट  करने  वाली  एक  कथा   है  ------   एक  सुन्दर  वधू  ने  पति  को  पूरी  तरह  वशवर्ती  कर  लिया   l  घर  में  बहुत  बूढ़ा  बाप  था  l  दिन  भर  खांसता  था  और  असमर्थ  होने  के  कारण  तरह -तरह  की  मांगे  करता  था   l  वधू  ने  अपने  पति  से  हठ  किया   कि  या  तो  इस  बूढ़े  को  हटाओ ,  नहीं  तो  मैं  मायके  चली   जाऊँगी  और  फिर  नहीं  आऊँगी  l   पति  को  आखिर  झुकना  पड़ा  l  वह  ऊँटों  पर  माल  ढोने  का  काम  करता  था   l  सो  एक  दिन  पिता  को   नदी  पर  पर्व -स्नान  के  लिए   अपने  साथ  ले  गया   और  रास्ते  में  मारकर  झाड़ी  के  नीचे  गाड़  दिया   l  दिन  गुजरने  लगे  ,  उसका  पुत्र  जन्मा , बड़ा  हुआ  l  उसकी  सुन्दर  वधू  आई  ,  बाप  बूढ़ा  हुआ   l  उसे  भी  वही   खांसी ,  कमजोरी  l  वधू  को  सहन  नहीं  होता  था , वही  मारने  का  प्रस्ताव  l   लड़के  ने  बाप  को  ऊंट  पर    बैठाकर  नदी  में  पर्व  स्नान  के  लिए  चलने  को  राजी  कर  लिया   और  रास्ते  में  मारकर   उसी  झाड़ी  में  गाड़  दिया  l    अब  यह  तीसरी  पीढ़ी  थी  ,  यह  लड़का  भी   नदी  में  स्नान  कराने  के  बहाने  पिता  को  ऊंट  पर    बैठाकर   ले  चला  l   संयोगवश  उसे  भी  मारने  और  गाड़ने  के  लिए  वही  झाड़ी  उपयुक्त  पाई  गई  l  बेटा  छुरा  निकालने  वाला  था  कि  पिता  ने  कहा  -- यहाँ  ये  दो  गड्ढ़े  खोद कर  देखो   l  दोनों  में  अस्थि -पंजर  पाए  गए  एक  उसके  बाप  का    और  बाबा  का   l  उनका  दुःखद  अंत  भी  इसी  तरह  हुआ  था  l  बूढ़े  बाप  ने   अपने  बेटे  से  कहा ---- ' मुझे  मारने  पर   तो  इस  परंपरा  के  अनुसार  तेरी  भी   दुर्गति  ऐसे  ही  होगी  ,  इसलिए  तू  मुझे  मार   मत  l   वधू  से  झूठ  बोल  देना ,  मैं  कहीं  दूर  चला  जाता  हूँ ,  फिर  कभी  लौटकर  नहीं  आऊंगा  l  इस  पाप  के  प्रचलन  को  तोड़ना  बहुत  जरुरी  है  l   बेटे  की  आँख  खुली , उसे  समझ   आया   l   बहुत  अनुनय -विनय  कर  पिता  को  पुन:  घर  ले  आया  l   पत्नी  को    सब  बताया , समझाया  l   सबने  भगवान  से  प्रार्थना  की -- भगवान  !  ऐसे  पापी  विचारों  से  हमारी  रक्षा  करो ,  पाप  के  गड्ढ़े  में  गिरने  से  बचाओ  ! '  सच्ची  प्रार्थनाएं  सुनी  जाती  हैं   l  बुरी  शक्तियों  का  जो  तूफ़ान  आया  था ,  वह  शांत  हो  गया   l  बूढ़ा  भी  बच  गया   और  पाप  व  अपराध  की  जो  परंपरा   चल  पड़ी  थी  वह  भी  टूट  गई  l  

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