19 July 2022

WISDOM -----

   लघु -कथा ----- एक  बार  एक  ब्राह्मण  ने  किसी  सेठ  के  यहाँ  अपनी  राशि  जमा  कर  दी    ताकि  कन्या  के  विवाह  के  समय  वह  राशि  ब्याज  समेत  मिल  जाये  l   आवश्यकता  पड़ने  पर  वह  ब्राह्मण  अपने  रूपये  वापस  लेने  पहुंचा  ,  पर  सेठ  की  नियत  में  खोट  आ  गया  l   उसने  रूपये  देना  तो  दूर  उस  ब्राह्मण  को  पहचानने  से  भी  इनकार  कर  दिया   l   ब्राह्मण  बहुत  दुःखी   हुआ  और  न्याय  के  लिए  राजा  के  पास  गया   l   रूपये  के  लेन - देन  संबंधी  कोई  कागज  नहीं ,  कोई   प्रमाण  नहीं    तो  राजा  क्या कैसे  क्या  करे  ?   पर  राजा  को  एक  युक्ति  सूझी   और  उसने  दूसरे  दिन  नगर  में  अपनी  शोभा  यात्रा   निकालने  की  घोषणा  कर  दी   और  ब्राह्मण  से  कह  दिया  कि  उस  सेठ  के  मकान  के  पास  खड़े  हो  जाना   l  राजा  की  शोभा -यात्रा  निकली  ,  सभी  लोग  अभिवादन  कर  रहे  थे   l  जब  सेठ  के  घर  के   पास  से   सवारी  निकली    तो  राजा  ने  ब्राह्मण  को  देखकर  अपनी  सवारी  रुकवाई  और    ब्राह्मण  को    गुरुदेव    कहकर  सम्मान  के  साथ  अपने  पास  बैठा  लिया   l     और  आगे    जा  कर   उतार  दिया    l  जब  सेठ  ने  यह  द्रश्य  देखा  तो  वह  कांपने  लगा   कि  यह  ब्राह्मण  तो   राजा  से  परिचित  है , कहीं  शिकायत  कर  दी  तो  जाने  क्या  दंड  मिले   l  सेठ  ने  अपने  सेवक  दौड़ाये  कि  उस  ब्राह्मण  को  ले  आओ   l   ब्राह्मण   के  आने  पर  सेठ  ने  उसका  बहुत  सम्मान  किया   और  कहा  कि    बहीखाता   देखने  में  भूल  हो  गई   l   सेठ  ने  ब्राह्मण  की  पूरी  धन   राशि   ब्याज  समेत  लौटा  दी ,   कन्या  के  विवाह  के  लिए  विशेष  दान  दिया   और  भोजन , पानी , दक्षिणा  भी  दी  l    यह  सब  देखकर  ब्राह्मण  की  बुद्धि  खुल  गई   , वह  सोचने  लगा   कि   जब  थोड़ी  देर  राजा  के  पास  बैठने  से   इतना  फायदा  हुआ   तो  यदि  राजाओं  के  राजा   ईश्वर  के  पास  बैठा  जाये  , सच्चे  ह्रदय  से  उनकी  उपासना  की  जाये    तो   कितना  प्रतिफल  मिलेगा  ,  जीवन  सार्थक  हो  जायेगा  l   अब  उसका  जीवन  बदल  गया ,  वह   अब  धन  कमाने  के  लिए  कोरे  कर्मकांड  नहीं  करता  ,  सच्चे  अर्थों  में  ब्राह्मण    बन  गया   l  

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