23 July 2022

WISDOM -----

   किसी  भी  परिवार , समाज  और  राष्ट्र  की  तरक्की  के  लिए  अनेक   कारण  उत्तरदायी  होते  हैं    लेकिन  तरक्की  के  साथ  यदि  सिर  उठाकर  जीना  है  तो  उसके  लिए  स्वाभिमान  बहुत  जरुरी  है   l   स्वाभिमान  के  अभाव  में  वह  तरक्की   मात्र  दिखावा  है    जैसे  कोई  परिवार ,    समाज  में  अपने  जीवन स्तर  को  ऊँचा  दिखाने  के  लिए    किसी  सेठ  से  बहुत   धन   उधार  लेता  है    l  ऐसा  कर  के  वह  सब  सुख -सुविधा  जोड़  लेता  है  l  समाज  में  भी  दीखने  लगता  है  कि  वह  बहुत   अमीर    है , उच्च  जीवन स्तर  है   लेकिन  इन  सबके  भीतर    एक  खोखलापन  है   l   जो  उधार  देता  है   वह  ब्याज  तो  वसूल  करता  ही  है    साथ  ही  अपनी  हुकूमत  भी  चलाता  है  ,    उधार  देने  वाला  किसी  दूसरे  लोक  का  निवासी  नहीं  है ,  वह  भी  मानवीय  कमजोरियों  से  घिरा  हुआ  है  ,वह  चाहता  है  कि  जब  हमारी  दम  पर   तुम्हारा  वैभव  है  तो  हमारी  हर   बात  को  चाहे  वह  सही  हो  या  गलत ,  उसे  स्वीकार  करो  l  उधारी  का  जीवन  चाहे  परिवार  का  हो  या  राष्ट्र   का     एक  तरह  की  गुलामी  है  ,  बिना  युद्ध  के  -----   l             कभी  ऐसा  भी  होता  है   कि  व्यक्ति  जागरूक  नहीं  है  ,  स्वयं  को  मिलने  वाली   सुविधाओं   में  खो  जाता  है ,  उसे  सुविधा  देने  वाले  की  मानसिकता  क्या  है  ,  इसे  समझ  नहीं  पाता  और  अनजाने  में  अपना  स्वाभिमान  खो  बैठता  है   l  जैसे  --- महाभारत  का  प्रसंग  है  --- जब  युद्ध  शुरू  होने  वाला  था   तब  विशाल  भारत  के  लगभग  सभी  राजा  ( एक -दो  को  छोड़कर  )  युद्ध  में  सम्मिलित  हुए   l  कोई  कौरवों  के  पक्ष  में , कोई  पांडवों  के  पक्ष   l  जब  दुर्योधन  को  पता  चला  कि  पांडवों  के  मामा  शल्य  आ  रहे  हैं   तो  उसने  गुप्त  रूप  से  शल्य  के  आने  के  पूरे  मार्ग  पर  सुख - सुविधाओं  का  अम्बार  लगा  दिया   l  सैकड़ों  सेवकों  को  नियुक्त  कर  दिया   कि  मार्ग  में  मामा  शल्य  को  कोई  कष्ट  नहीं  होना  चाहिए   l  शल्य  बहुत  प्रसन्न  थे  कि  युधिष्ठिर  ने  उनकी  सुविधा  का  इतना  ध्यान  रखा   लेकिन  जब  वे  हस्तिनापुर  पहुंचे   तो  दुर्योधन  ने  स्वागत  किया   l  तब  उन्हें  समझ  में  आया  कि    रास्ते  भर  इतना  स्वागत -सत्कार  सब  दुर्योधन  ने  किया   l  इस  एहसान  के  कारण   शल्य  और  उनके  समर्थक  सभी  राजा  ,     दुर्योधन  के  पक्ष  में  रहे   l   बुराइयां  हर  युग  में  रही  हैं   ,   व्यक्ति  को  स्वयं  जागरूक  होना   होगा   l  

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