13 August 2022

WISDOM -----

    पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी   , महापुरुषों  के  अविस्मरणीय  जीवन  प्रसंग  '  में   लिखते  हैं  ----- 'पराधीनता  मनुष्य  के  लिए  बहुत  बड़ा  अभिशाप  है  ,  वह  चाहे   व्यक्तिगत  हो  या  राष्ट्रीय  l  उससे  मनुष्य  के  चरित्र  का  पतन  हो  जाता  है   और  तरह -तरह  के  दोष  उत्पन्न  हो  जाते  है   l  इसलिए  कवियों  ने   पराधीनता  को  एक  ऐसी   ' पिशाचनी  '  की  उपमा   दी  है  जो  मनुष्य  के   ज्ञान , मान , प्राण   सबका  अपहरण  कर  लेती  है  l                  दूसरे  को  पराधीन  बनाना   संसार  में  सबसे  बड़ा  अन्याय  और  दुष्कर्म  है  l  भगवान  ने  संसार  में  अनेक  प्रकार  के   छोटे -बड़े , निर्बल -सबल , मुरका -चतुर   प्राणी  बनाये  हैं   l    ईश्वरीय  नियम  तो  यह  है   कि  जो  अपने  से  छोटा , कमजोर , नासमझ  हो   उसको   आगे  बढ़ने  में  ,   उन्नति  करने  में  सहायता  दी  जाये  ,  प्रगति  के  क्षेत्र  में  उसका  मार्गदर्शन  किया  जाये    पर  इसके  विपरीत   जो  कमजोर  को  अपना  भक्ष्य  समझते  हैं  ,  छल -बल  से    उनके    स्वत्व  का  अपहरण    करने  को  ही  अपनी   विशेषता  समझते  हैं  ,  उन्हें  कम -से -कम     ' मानव ' पद  का  अधिकारी  तो  नहीं  कह  सकते   l  इनकी  गणना  तो  उन  क्रूर  , हिंसक  पशुओं  में  की  जा  सकती  है  ,  जिनका  स्वभाव  ही  खूंखार  बनाया  गया  है   और  जो  सब  के  लिए  भय  का  कारण  होते  हैं   l  '

No comments:

Post a Comment