15 September 2022

WISDOM ----

लघु -कथा ----  एक  आदमी  अकसर  शमशान  में  जाकर  बैठ  जाता  था  l  जब  सब  उससे  पूछते  कि  यहाँ  क्यों  बैठे  हो  तो  वह  कहता --- " एक  दिन  तो  यहाँ  आना  ही  है  , मैं  स्वयं  ही  आ  गया  l " सब  उसे  पागल  कहते  थे  l  एक  दिन  एक  सेठ  की  सवारी  उधर  से  निकली  तो  सेठ  ने  उसे  बुलवाया  और  उससे  वहां  बैठने  का  कारण  पूछा  ,  तो  उसने  कहा  --- " एक  दिन  तो  तुम्हे  भी  यहाँ  आना  ही  है  l "  यह  सुनकर  सेठ जी  बहुत  क्रोधित  हुए  l  उन्होंने  कहा --- " तुम  मूर्ख  हो  , मैं  अब  तक  किसी  मूर्ख  की  तलाश  कर  रहा  था  l  मैं  तुम्हे  सोने  की  छड़ी  देता  हूँ  l " उस  पागल  ने  कहा --- " मैं  इसका  क्या  करूँ ? " सेठ जी  ने  कहा --- " जो  तुमसे  भी  ज्यादा  मूर्ख  हो  उसे  दे  देना  l  वह  छड़ी  हाथ  में  लेकर  घूमता  रहता  l  एक  दिन  शहर  की  तरफ  गया  तो  पता  लगा  कि  वे  सेठ जी  बहुत  बीमार  हैं  l  वह  उन्हें  देखने  पहुँच  गया l  सेठ जी  से  पूछा --- ' कैसे  हो  ? ' सेठ जी  ने  कहा -- " बस , अब  तो  जाने  की  तैयारी  है  l " उसने  पूछा --- " कहाँ  जा  रहे  हो  ? " सेठ  ने  कहा --- " जहाँ  सब  जाते  हैं  l ' उस  व्यक्ति  ने  कहा --- " तो  आपने  यात्रा  की  तैयारी  तो  की  होगी  ? ये  धन -दौलत ,  ये  सुख -सुविधा  का  सामान क्या -क्या  ले  जा  रहे  हो  ? "  सेठ  ने  क्रोध  में  कहा --- " तुम  बहुत  मूर्ख  हो  , वहां  पर  कोई  वस्तु  कैसे  ले  जा  सकता  है  ? " उस  व्यक्ति  ने  कहा --- " सेठ जी , मुझसे  बड़े  मूर्ख  तो  आप  हैं  l  आपके  पास  इतनी  धन -दौलत , इतने  नौकर -चाकर , इतनी  शक्ति   सब  कुछ  था l  यदि  आप  इस  धन  का , अपनी  शक्ति  का  सदुपयोग  करते  तो  यह  पुण्य  आपके  साथ  जाता  l  अब  तो  वह  समय  निकल  गया  l  मनुष्य जन्म  अनमोल  है  , जो  वक्त  गुजर  गया , वह  अब  कभी  वापस  नहीं  आएगा  l  पर  खैर  आप  अपनी  छड़ी  वापस  ले  लो  , क्योंकि  मैं  अपने  से  अधिक  मूर्ख  की  तलाश  कर  रहा  था  l  "  

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