27 November 2022

WISDOM ----

  वस्तुओं  के  प्रति  आकर्षण  का , अतृप्त  इच्छाओं  का  नाम  तृष्णा  है  l  तृष्णा  प्राय:  अपनी  स्थिति  से  अधिक  ऊँची  सामर्थ्य  वाली   वस्तुओं  के  लिए  हुआ  करती  है  l  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- " वासना  और  तृष्णा  की  खाई  इतनी  चौड़ी  और  गहरी  है  कि  उसे  पाटने  में   कुबेर  की  सम्पदा  और  इंद्र  की  सामर्थ्य  भी   कम  पड़ती  है  l   तृष्णा  कभी  तृप्त  नहीं  होतीं  l  उन्हें  व्रत , संकल्प  और  प्रतिरोध  की  छड़ी  से  ही  काबू  में  लाया  जा  सकता  है  l "  एक  कथा  है ------  एक  राजा  ने  एक  बकरी  पाली   और  प्रजाजनों  की  परीक्षा  लेने  का   निर्णय  किया  l  यह  घोषणा  की  गई  कि  जो  इस  बकरी  को  तृप्त  कर  देगा   उसे  सहस्त्र  स्वर्ण  मुद्राएँ  उपहार  में  मिलेंगी  l   परीक्षा  की  अवधि  पंद्रह  दिन  रखी  गई  और  बकरी  घर  ले  जाने  की  छूट  दे  दी  l   जो  ले  जाते  वे  पंद्रह  दिन  तक  उसका  पेट  भली  प्रकार  भर  देते  l  इतने  पर  भी  जब  वह  दरबार  में  पहुँचती  तो   अपनी  आदत  के  अनुरूप  वहां  रखे  हुए  हरे  चारे   में   मुंह  मारती  l  प्रयत्न  असफल  चला  जाता  l  इस  प्रकार  कितनों  ने  ही  प्रयत्न  किया  ,  पर  वे  सभी  निराश  होकर  लौट  गए  l   एक  बुद्धिमान  उस  बकरी  को  ले  गया   , वह  पीछे  छुपकर  बकरी  को  चारा  डाल  देता  , उसका  पेट  भर  देता  लेकिन  जब  वह  सामने  से   आता  , उसके  हाथ  में  चारा  होता  तब  वह  बकरी  की  छड़ी  से  अच्छी  खबर  लेता  l  उसे  देखते  ही  बकरी  खाना  भूल  जाती   और   मुंह   फेर  लेती  l  यह  नया  अभ्यास  जब  पक्का  हो  गया  तो  वह  बकरी  को  लेकर   दरबार  में  पहुंचा  l  छड़ी  हाथ  में  थी  l  उसके  सामने  हरा  चारा  रखा  गया   तो  छड़ी   को  ऊँची  उठाते  ही   बकरी  ने  मुंह  फेर  लिया  ,  राजा  समझ  गया  कि  वह  पूर्ण  तृप्त  हो  गई   और  उस  बुद्धिमान  को  इनाम  मिल  गया  l  इस  रहस्य  का  उद्घाटन   करते  हुए   राजपुरोहित  ने  बताया  कि  तृष्णायें   बकरी  के  सद्रश  हैं  l  वे  कभी  तृप्त  नहीं  होतीं  l  उन्हें  व्रत , संकल्प  और  प्रतिरोध  की   छड़ी  से  ही  काबू  में  लाया  जा  सकता  है   l  

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