3 December 2022

WISDOM

    लघु -कथा ---- एक  वृक्ष  पर  उल्लू   बैठा    था  , उसी  पर  आकर  एक  हंस  भी  बैठ  गया   और  स्वाभाविक  रूप  से  बोला --- आज  सूर्य  प्रचंड  रूप  से  चमक  रहे  हैं   इससे  गर्मी  तेज  हो  गई  है  l  उल्लू  ने  कहा ---सूर्य  कहाँ  है  ?  गरमी  तो  अंधकार  बढ़ने  से  होती  है  , जो  इस  समय  भी  हो  रही  है  l  उल्लू  की  आवाज  सुनकर   एक  बड़े  वट वृक्ष  पर   बैठे   अनेक  उल्लू  वहां  आकर  हंस  को  मूर्ख  बताने  लगे   और  सूर्य  के  अस्तित्व  को   स्वीकार  न  कर   हंस  पर  झपटे  l  हंस  अपने  प्राण  बचाकर बचाकर  भाग  खड़ा  हुआ  l         उल्लू  को  दिन  में  दिखाई  नहीं  देता  इसलिए  वह  अंधकार  को  ही  सत्य  मानता  है   l  आज  की  स्थिति  कुछ  ऐसी  ही  है l  सच्चाई , ईमानदारी  और   विवेक   की  बात  करने  वालों  का  बहिष्कार  किया  जाता  है  और  जो   अनैतिक , अमर्यादित  कार्य  करते  हैं ,  या  गलत  कार्य  करने  वालों  का  सहयोग  करते  हैं   उनको  महत्त्व  दिया  जाता  है  l  समस्या  में  ही  समाधान  निहित  है  l   जिस  दिन  सरोवर  से   बहुत  सारे  हंस  उड़कर  वृक्ष  पर  बैठे  हंस  के  पास  आ  जायेंगे   और  अपने  हंस  की  बात  का  समर्थन  करेंगे    , अपनी  विवेक   शक्ति  से   प्रतिपक्षी    को  निरुत्तर  कर  देंगे   उस    दिन  सत्य   की  जीत  होगी  l  

2 . एक  मनुष्य  ने  किसी  महात्मा  से  पूछा , महात्मन  ! मेरी  जीभ  तो  भगवान   का  नाम   जपती  है  , पर  मन  उस  ओर  नहीं  लगता  l  महात्मा  बोले -- भाई  ! हमारा  यह  शरीर  ईश्वर  की  दी  हुई  विभूति  है  l  इस  बात  की  प्रसन्नता  मनाओ  कि  कम  से  कम  जीभ  तो  भगवान  का  नाम  लेती  है  , एक  अंग  ने  तो  उत्तम  मार्ग  पकड़ा  है  l  धीरे -धीरे  प्रयास  करते  रहो  और  सत्कर्म  करो   तो  एक  दिन  मन  भी   निश्चित  रूप  से   ठीक  रास्ते  पर  आ  जायेगा  l  शुभारम्भ  छोटा  भी  हो    तो  भी  निरंतर  प्रयास  से  सफलता  मिलती  है  l  

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