20 December 2022

WISDOM ----

   एक  बादशाह  अपने  गुलाम  के  साथ  नाव  में  यात्रा  कर  रहा  था  l   गुलाम  ने  कभी  नौका  में  सफ़र  नहीं  किया  था  , इसलिए  उसे  कुछ  अटपटा  लग  रहा  था     वह  उन्मत्त  बन्दर  की  भांति नाव  में  उछल -कूद  मचा  रहा  था  l   इससे  सभी  लोग   परेशान   हो  रहे  थे  l  मल्लाह  ने  उसे  कई  बार  समझाया   कि  इस  तरह  नाव  डूब  सकती  है   लेकिन   उसकी    समझ  में  कुछ  न  आया   नाव  में  एक  दार्शनिक  भी  था  , उसने  बादशाह  से  कहा --" जहाँपनाह  ,  आप  इजाजत  दें  तो  मैं   इस  गुलाम  को  भीगी  बिल्ली  बना  सकता  हूँ   l "  बादशाह  ने  तत्काल  अनुमति  दे  दी  l   दार्शनिक  ने  दो  यात्रियों  का  सहारा  लिया   और  उस  गुलाम  को   नाव  से  उठाकर  नदी  में  फेंक  दिया  l  गुलाम  को  तैरना  नहीं  आता  था  , जब  डूबने  लगा  तो  उसने  नाव  के  खूंटे  को  कसकर  पकड़  लिया  l  कुछ  देर  बाद  दार्शनिक  ने  उसे  खींचकर  नाव  में  चढ़ा  लिया  l  वह  गुलाम  अब   कोने  में  जाकर  ऐसे  चुपचाप  बैठ  गया  मानो  भीगी  बिल्ली  हो  l  नाव  के  यात्रियों  और  बादशाह  को  भी  गुलाम  के  इस  संयमित  व्यवहार  पर  आश्चर्य  हुआ  l  बादशाह  ने  दार्शनिक  से  पूछा  ---  'यह  पहले  उन्मत्त  बन्दर  की  भांति   हरकतें  कर  रहा  था  , अब  इतना  सयाना  बनकर  कैसे  बैठा  है  l  दार्शनिक  ने  जवाब  दिया  --- " स्वयं  आपत्ति  और  दुःख  का  स्वाद  चखे  बिना   किसी  को  पराये  दुःख  और  विपत्ति  का  एहसास  नहीं  होता  l  इस  गुलाम  को  जब  मैंने  पानी  में  फेंक  दिया   और  इसके  मुंह  में  पानी  भरने  लगा   तब  इसे  पता  चला  कि  नाव  डूब  गई  तो  सब  यात्रियों   की  क्या  हालत  होगी  l 

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