9 January 2023

WISDOM ----

   लघु कथा ---- एक  सेठजी  थे  l  उनकी  पत्नी  का  निधन  हो  गया  l  सेठ  ने  सोचा  कि  क्यों  न  चारों  बहुओं  को  परखकर    उनमे  से  किसी  एक  को  घर  का  सम्पूर्ण  दायित्व  सौंप  दिया  जाए  l   इस  विचार  के  साथ  उन्होंने  चारों  बहुओं  को  धान  के  पांच  दाने  देते  हुए  कहा  --- इन्हें  संभाल कर  रखना   और  जब  मैं  मांगू  तो  मुझे  लौटा  देना  l  चारों  बहुएं  दाने  लेकर  चली  गईं  l   बड़ी  बहु  ने  सोचा  कि   भंडार गृह  में  पर्याप्त  धान  पड़ा  है  , इसलिए  जब  भी  ससुर जी  मांगेंगे  तो  वहीँ  से  लाकर  दे  दूंगी  l   दूसरी  और  तीसरी  बहु  ने  भी  ऐसा  ही  सोचा   और  उन  तीनों  ने  अपने  धान  के  दाने  उसी  भंडार गृह  में  डाल  दिए  l  चौथी  बहु  ने  सोचा  कि  सत्कर्म  करने  से  वह  बढ़ता  है   इसलिए  उसने  पाँचों  दानों  को  खेत  में  बो  दिया  ,  उनसे  जो  फसल  हुई  , उसने  उन्हें  फिर  से  खेत  में  बो  दिया  l  पांच  वर्ष  बाद  सेठजी  ने   बहुओं  से  दाने  वापस  मांगे   तो  पहली  तीन  बहुओं  ने   भंडार गृह  से  दाने  लाकर  वापस  कर  दिए  , परन्तु  चौथी  बहु  ने   सारी  कहानी  सुनाते  हुए  कहा  --- " पिताजी  !  वे  पांच  दाने  असंख्य  दानों  में  बदल  गए  और  उन्हें  एक  दूसरे  भंडार गृह  में  रखना  पड़ा  l  "  उसकी  कथा  सुनकर  सेठ  बहुत  प्रसन्न  हुआ   और  बोला  --- " पुत्री  !  जिस  प्रकार  धान  के  दाने  बोने  से  बढ़  गए  ,  वैसे  ही   पुण्य ,  सेवा  और  परोपकार  के  कार्यों  से  बढ़ता  है  l  मुझे  तुम  पर  विश्वास  है  कि  तुम  अपने  परिवार  की   पुण्य संपदा  को  बढ़ाओगी  l  "  सेठजी  ने  छोटी  बहु  को   घर  की  मालकिन  बना  कर  उसे  सम्पूर्ण  जिम्मेदारी  सौंप  दी  l  

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