15 February 2023

WISDOM ------

     पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- " जब  स्रष्टि  का  स्रजेता   शाश्वत  ईश्वर   स्वयं  को  श्रेष्ठ  सिद्ध  करने  का   कभी  कोई  प्रयास  नहीं  करता  , तब  हम  मरणधर्मा   होते  हुए  स्वयं  को   श्रेष्ठ  मानने   व  सिद्ध  करने  का  उपाय   किस  आधार  पर  कर  सकते  हैं   l  हमें  यह  सदैव  स्मरण  रखना  चाहिए   कि  ईश्वर  के  सिवाय   अन्य  कुछ  भी   न  तो  श्रेष्ठ  है   और  न  स्थायी  l  जिन  उपलब्धियों  के  कारण   मनुष्य  आज  गर्वोन्मत   हो  रहा  है  , उन्हें  नष्ट  होने  में  क्षणमात्र  भी  नहीं  लगेगा  l    इसलिए  व्यक्ति  को   सदैव  विनम्र  और   और  शालीन  बने  रहना  चाहिए  l  मनुष्य  को  जो  कुछ  भी  विशेषता  प्राप्त  हो   उसके  आधार  स्वयं  को   श्रेष्ठ  सिद्ध  करने  के  बजाय    इसका  सदुपयोग   स्वयं  के  विकास  में  और  दूसरों  के  कल्याण  के  लिए  करना  चाहिए   l  "

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