4 February 2023

WISDOM ----

     अति  की  महत्वाकांक्षा  व्यक्ति  को  स्वार्थी  बना  देती  है  l  उन्हें  किसी  की  हानि -लाभ  से  मतलब  नहीं  होता  l   उसकी  समूची  शक्तियों  की  खपत  इसी  में  होती  है  कि  महत्त्व  को  कैसे  पाया  जाये  l  महत्वकांक्षी  व्यक्ति  की  रूचि   सही  रास्ते  से  सच्चाई  के  साथ  आगे  बढ़ने  में  नहीं  होती  , वह  अपने  महत्त्व  को  जैसे -तैसे  पाना  चाहता  है   ताकि  समाज  में  उसका  सम्मान  हो , सब  उसे  सलाम  करें   l  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---महत्त्व  की  पाने  की  ललक   ऐसा  विष  है   जो  जिस  क्षेत्र  में  घुलेगा  , उसे  विषैला  बनाएगा   l  l   मनुष्य  जब  तक  अपनी  सही , सच्ची  स्थिति  में  बना  रहता  है  , तब  तक  वह  अनेक  प्रकार  की  मुसीबतों  से  बचा  रहता  है  , किन्तु  जैसे  ही  मिथ्या आडम्बर  और  स्वयं  को  बढ़ा -चढ़ाकर  प्रदर्शित  करने  की  प्रवृति  उसमे  विकसित  होती  है  , वह  स्वयं  उसके  लिए  भी  घातक  होती  है  l  

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