28 March 2023

WISDOM ----

   वैराग्य शतक  में  भतृहरि   ने  भय  की  स्थिति  का  सूक्ष्म  विश्लेषण  किया  है  ---- ' भोग  में  रोग  का  भय ,   सत्ता  में  गिरने  का  भय  , धन  में  चोरी  का  भय  ,  सामाजिक  स्थिति  में  शत्रुओं  का  भय  ,  सौन्दर्य  में   बुढ़ापे  का  भय  और  शरीर  में  मृत्यु  का  भय  है  l  इस  तरह  संसार  में  सब  कुछ  भय  से   युक्त  है   l '                                         अध्यात्मवेत्ताओं  के  अनुसार  संकीर्ण  स्वार्थ , वासना  और  अहं  से  युक्त  अनैतिक  जीवन  भय  का  प्रमुख  कारण  है   l  पुराण  की  अनेक  कथाएं   भी  इसी   सत्य  को  प्रकट  करती  हैं  कि  सब  कुछ  अपने  पास  होने  पर  भी   व्यक्ति  भयभीत  है   क्योंकि  'सब  कुछ '   के  साथ  अहंकार  भी  है  , स्वार्थ  भी  है  l  कंस  कितना  शक्तिशाली  था  , लेकिन  एक  आकाशवाणी  से   डर  गया  l  उसे  आवाज  सुनाई  दी  कि  उसकी  बहन  देवकी  का  आठवें  पुत्र  के  हाथों  उसकी  मृत्यु  होगी  l  आठवें  का  इंतजार  उसके  लिए  कठिन  था  , भय  इतना  था  कि   देवकी  और  उसके  पति  को  कैद  कर  दिया   और  उसके  छह  पुत्र  और  एक  पुत्री  को    पैदा  होते  ही  मार  दिया  l   जब  उसे  पता  चला  कि  आठवां  पुत्र  गोकुल  में  है   तो   गोकुल  में   उस  दिन  पैदा  हुए   सभी  नवजात  शिशुओं  को  मारने  का  आदेश  दे  दिया  l  l  इतना  शक्तिशाली  होते  हुए  बच्चों  से  डर  गया  l  अत्याचारी , अन्यायी  अपने  अंदर  से  बहुत  कमजोर  होता  है  l  ऋषियों  का  वचन  है ---- ' जो  ईश्वर  से  भय  खाता  है  उसे  दूसरा  भय  नहीं  सताता   l  '  ईश्वर  से  डरने  वाला  कभी  कोई  गलत  कार्य  नहीं  करता   क्योंकि  उसे  पता  है  कि  ईश्वर  देख  रहा  है  , यह  भाव  उसे  निडर  बना  देता  है  l  

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