11 June 2023

WISDOM ----

  ऋषि  का  वचन  है  कि  ----- ' जब  आप  अति  क्रोध में  , आवेश  में  हों   या    अत्यधिक  अपमान  हुआ  हो  , तो  ऐसी  स्थिति  में  कभी  भी  कोई   महत्वपूर्ण  निर्णय  नहीं  लेना  चाहिए  l  जब  मन: स्थिति  सामान्य  हो  जाये   तो  उस  विषय  पर  चिन्तन ,मनन  कर   और  अपने  निर्णय  से  मिलने  वाले  परिणामों  पर  संतुलित  मन  से  विचार  कर  ही  कोई  महत्वपूर्ण  कदम  उठाना  चाहिए  , बड़ा  निर्णय  लेना  चाहिए   l  ' ------- गंगा तट  पर  एक  ऋषि  अपनी  पत्नी  के  साथ  रहते  थे  l  उनका  एक  पुत्र  था  जो  ज्ञानी  तो  था , साथ  ही  बहुत  चिन्तन -मनन  भी  करता  था  l  एक  बार  ऋषि पति -पत्नी  में  किसी  बात  पर  विवाद  हुआ   तो  ऋषि  को  बहुत  क्रोध  आया   और  उन्हें  अपना  अपमान  महसूस  हुआ  l  क्रोध  में  आकर  उन्होंने   अपने  पुत्र  को  माँ  का   सिर  काटने   की  आज्ञा    दी  और  स्वयं  जंगल  चले  गए  l  पुत्र  विचारशील  था  वह  सोचने  लगा  कि  पिता  ने  अति  क्रोध  में    ऐसी  कथीर  आज्ञा  दी  है न, क्या  जन्म  देने  वाली  माँ  को  मारना  उचित  होगा   ?  या  पिता  की  आज्ञा  की  अवहेलना  करना  उचित  होगा  ?   वह  ऐसे  जघन्य  कार्य  और  उसके  परिणामों  के  बारे  में  सोच -विचार   में  डूब  गया  l  तभी  उसके  पिता  क्रोध  शांत  हो  जाने  पर  दौड़ते  हुए  आए   और  पत्नी  के  देखकर  उनका  मन  शांत  हुआ  l  उन्होंने  अपने  पुत्र  को  ह्रदय  से  लगा  लिया  l  उन्होंने  कहा  --क्रोध  में  मैं  अँधा  हो  गया  था , मेरी  बुद्धि  का  नाश  हो  गया  था   l  तुमने  मुझे   एक  भयानक  पापकर्म  से  बचा  लिया  l  

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