7 September 2023

WISDOM -----

 1 . मगध  के  एक  व्यापारी  ने  बहुत  धन  कमाया  l  उसे  अपनी  सम्पन्नता  पर  इतना  गर्व  हुआ  कि   वह  अपने  घर  के  लोगों  पर  ऐंठा  करता  l  परिणाम  यह  हुआ  कि  उसके  लड़के  भी  उद्दंड  और  अहंकारी  हो  गए  l  पिता -पुत्र  में  ठनने  लगी  और  घर  नरक  बन  गया  l   व्यापारी  बहुर  परेशान  हुआ  और  उसने  महात्मा  बुद्ध  की  शरण  ली  और  कहा  --- " भगवन  !  मुझे  इस  नरक  से  मुक्ति  दिलाइये  , मैं  भिक्षु  होना  चाहता  हूँ  l "  तथागत  ने  कुछ   सोचकर  उत्तर  दिया --- " भिक्षु  बनने  का  अभी  समय  नहीं  है  l  तात  !  तुम   जैसा  संसार  चाहते  हो   वैसा  आचरण  करो  ,  तो  घर  में  ही  स्वर्ग  के  दर्शन  कर  सकोगे  l  जब  तक  मन  अशांत  है , तुम्हे  उपवन  में  भी  शांति  नहीं  मिलेगी  l  यह  नरक  तुम्हारा  अपना  ही  पैदा  किया  हुआ  है  l " व्यापारी  घर  लौट  आया  l  उसने  जैसे  ही  अपना  द्रष्टिकोण , व्यवहार ,  आचरण  बदला  ,  सबके  ह्रदय  बदले  और  उसे  घर  में  ही  स्वर्ग  के  दर्शन  होने  लगे  l  प्रगति -दुर्गति ,  स्वर्ग -नरक  मनुष्य  स्वयं  ही  रचता  है  l 

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