4 February 2024

WISDOM ----

   पेट  पालने  के  लिए  धन  कमाना  बहुत  जरुरी  है   और  धन  कमाने  के  कई  तरीके  हैं  l  जब  राजतन्त्र  था  , बड़ी -बड़ी  कम्पनियां  नहीं  थीं   , तब  राजा  को  खुश  करने  एवं  प्रसन्न  करने  के  लिए   विशेष  रूप  से   विशेषज्ञ   चाटुकारों  की  व्यवस्था  की  जाती  थी  l  उनका  काम  ही  था   कि  वे  राजाओं  के  विभिन्न  कार्यों , गुणों  और  रूप  आदि  की  प्रशंसा  करें  l   ये  चाटुकार  अपनी  कविता , गीतों  आदि  विभिन्न  तरीकों  से  राजा  की  प्रशंसा  करते  थे   और  राजा  प्रसन्न  होकर  दरबार  में  सबके  सामने  उन्हें   तोहफे  देते , कभी  अपने  गले  से  उतार  कर  हीरे -मोतियों  के   हार  आदि  बहुमूल्य   तोहफे  देते  थे  l   यही  इनकी  जीविका  का  साधन  था  , वे  इस  कार्य  के  विशेषज्ञ  होते  थे  l  अब  वक्त  बदल  गया  ,  अब  अलग  से '  चाटुकार '  रोजगार  का  साधन  नहीं  है  l   अब  लोग  विभिन्न  कार्यों  में  , रोजगार  में  संलग्न  रहते  हुए  , अपने  चाटुकारिता  के  गुण  के  कारण   अपने  वेतन  के  साथ  अतिरिक्त  फायदा  भी  कमा  लेते  हैं  l  अपनी  प्रशंसा  सबको  अच्छी  लगती  है , दिल  को  छूती  है  , प्रशंसा  सुनकर  मन  इतना  प्रसन्न  हो  जाता  है  कि   कई  दिन  तक  उसका   नशा  दिल  पर  छाया  रहता  है  l  इसलिए   चाहे  कोई  छोटी  सी  संस्था  हो , बड़ा  संगठन  हो ,   छोटा -बड़ा  नेता  हो  ----,  सबको  प्रशंसा  अच्छी  लगती  है   इसलिए   कुशल  व्यक्ति   चाटुकारिता  के  गुण  से   एक  सम्पन्नता  का  जीवन  जी  लेते  हैं  l   चाटुकारिता  करने  वाला  तो  हर  तरह  से  फायदे  में  रहता  है , यह  उसका  स्वभाव  होता  है    जैसे  अधिकारी  बदल  गया  , तो  जो  नया  अधिकारी  आता  है  , वे  सुबह  से  रात  तक  उसकी  खुशामद  में  लग  जाते  हैं  l   हमारे  ऋषियों  का  कहना  है  ---यह  संसार  गणित  से  चलता  है  , संसार  में  स्वार्थ  और  लालच  बहुत  है  इसलिए  प्रशंसा  से  विचलित  नहीं  होना  चाहिए  l  यह  प्रशंसा  खतरनाक  तब  हो  जाती  है  जब   प्रशंसा  या  चाटुकारिता  करने  वाला  इतना  सक्षम  है , होशियार  है  कि  वह   उस  चाटुकारिता प्रिय  के  व्यक्तित्व  पर  हावी  हो  जाता  है ,  उसके  जीवन  के  महत्वपूर्ण  निर्णयों  को  प्रभावित  करता  है ,  अपने  स्वार्थ  के  अनुरूप  निर्णय  लेने  को   विवश    कर  देता  है  l  यह  स्थिति  केवल  संस्थाओं  में ,  राजनीति  में ,  संगठनों  में  ही  नहीं  होती  , विभिन्न  घर -परिवारों  में  भी   इसी  ' गुण विशेष ' के  कारण  कलह , मुकदमे  होते  है  , परिवार  में  भेदभाव  होता  है  l  इन  सबके  मूल  में  यही  कारण  है  कि  सद्बुद्धि  की ,   विवेक  की  कमी  है  l  यह  सद्बुद्धि  कैसे  आए  ?   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  कहा  है  --- ' गायत्री  मन्त्र  में  वह  शक्ति  है   जिससे  व्यक्ति   को    सद्बुद्धि  का  वरदान  मिलता  है  ,  वह  क्या  सही  है  और  क्या  गलत  है , यह  समझकर  विवेकपूर्ण  ढंग  से  निर्णय  लेता  है  l  श्रद्धा  और  विश्वास  जरुरी  है  l  

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