10 September 2024

WISDOM -----

   इंद्र  का  वैभव  नष्ट  हो  रहा  था  l  वे  बड़े  चिंतित  हुए   और  राजर्षि  प्रह्लाद  के  पास  जाकर  उसका  कारण  पूछा   l  प्रह्लाद  ने  बताया  --- राजन  तुमने  अहिल्या  जैसी    सती -साध्वी  का  शील  नष्ट  किया  है  l  जब  तक  उसका  प्रायश्चित  कर   पुन: शील  संग्रह  नहीं  करोगे  ,  अपने  वैभव  को  भी  बचा  नहीं  सकोगे   l  लोभी  इंद्र  ने  अपने  को  प्रह्लाद  का   अतिथि  बताकर  ,  उन्ही  का  शील  मांग  लिया  l  प्रह्लाद  ने  अपना  शील  उन्हें  दान  कर  दिया  l  ऐसा  करते  ही  उनके  शरीर  से   तीन  ज्योति  पुरुष  निकले   और  बोले  --- हम  सत्य , धर्म  और  वैभव  हैं  ,  जहाँ  चरित्र  ( शील )  नहीं  रहता  ,  वहां  हम  भी  नहीं  रहते   l  प्रह्लाद  ने  कहा  --- मैंने  इंद्र  को   नेक  सलाह  देकर    सत्य  का     तथा  अतिथि  को  याचित  वास्तु   दान  कर  धर्म  का  ही  पालन  किया  है  l  अत:  आपका  जाना  उचित  नहीं  है  l  फिर  मैंने  शील  दान  ही   तो  किया  है  l  जिस  जीवन  देवता  की  आराधना   से  मैंने  शील  अर्जित  किया  था  ,  उसे  मैं  पुन:  संग्रह  कर  लूँगा  l  प्रह्लाद  की  यह  बात   सुनकर   जाते  हुए  सत्य , धर्म  और  वैभव  के  चरण  रुक  गए   और  प्रह्लाद  को  अपने  खोये  हुए   चारों  देव  वापस  मिल  गए   l  महामानव  हर  स्थिति  में   इस  बहुमूल्य  जीवन  संपदा  को  नष्ट  नहीं  करते   इस  कारण  उन्हें  प्रतिकूल  परिस्थितियों  में  दैवी   अनुदान  भी  मिलते  हैं   l  

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