15 September 2024

WISDOM ------

  अनंत  ब्रह्माण्ड  पर  आधिपत्य  जमाने  की  मनुष्य  की  व्यर्थ  चेष्टा  पर  उसे  चेताते  हुए  प्रसिद्ध  साहित्यकार  बट्रेंड  रसेल  ने  लिखा  है  ----- " अच्छा  होता  कि  हम  अपनी  धरती  ही  सुधारते   और  बेचारे  चंद्रमा   को   उसके  भाग्य  पर  छोड़  देते   l  अभी  तक  हमारी  मूर्खताएं   धरती  तक  ही  सीमित  रही  हैं  l  उन्हें  ब्रह्माण्डव्यापी  बनाने  में   मुझे  कोई  ऐसी  बात  प्रतीत  नहीं  होती  ,  जिस  पर  विजय उत्सव   मनाया  जाए  l  चंद्रमा  पर  मनुष्य  पहुँच  गया  तो   क्या  ?   यदि  हम  धरती  को  ही  सुखी   नहीं  बना  पाए  तो  यह  प्रगति  बेमानी  है  l  "                        पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी   लिखते  हैं ---- "  प्रगति  के  नाम  पर   विकृति  को  अपने  जीवन  का   लक्ष्य  बनाए  चल  रहे  इनसान  के  लिए    बट्रेंड  रसेल  की  यह  पंक्तियाँ   आज  बहुत  सार्थक  प्रतीत  होती  हैं  l    विज्ञानं  ने  हमारे  जीवन  को  सुख -सुविधा  और  विलासिता  की  चीजों  से  भर  दिया  है  l   भौतिक  प्रगति  तो  हुई  है  लेकिन  हम  आंतरिक  रूप  से  कंगाल  हो  चुके  हैं   l  मनुष्य  भावनाओं  और  संवेदनाओं  से  रहित   एक  रासायनिक  यंत्र  बन  गया  है  l  l  विज्ञान  का  प्रभाव  क्षेत्र कितना  ही  व्यापक  और  उपलब्धियां   कितनी  ही  चमत्कारी   क्यों  न  हों  ,  इसके  अलावा  भी  जीवन  में  भावनात्मक   संतुष्टि  , मानवीय  संवेदना  जरुरी  है  , जिसके  अभाव  में  जिंदगी  पंगु  हो  जाएगी   l  "       विज्ञान  की  उपलब्धियों  के  संबंध  में  बंट्रेंड  रसेल  का  कथन  है  ----- "  हम  एक  ऐसे  जीवन  प्रवाह  के  बीच  हैं  , जिसका  साधन  है  मानवीय  दक्षता   और  साध्य  है  मानवीय   मूर्खता  l  मानव  जाति  अब  तक  जीवित  रह  सकी   तो  अपने  अज्ञान  और  अक्षमता  के  कारण  ही  ,  परन्तु  यदि  ज्ञान   व  क्षमता   मूढ़ता  के  साथ   युक्त  हो  जाएँ   तो  उसके  बचे  रहने   कोई  संभावना   नहीं  है   l  अत:  विज्ञानं  के  साथ   विवेक  एवं   औचित्य पूर्ण    क्रियाकुशालता   की  भी  आवश्यकता  है  l  "  

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