15 January 2013

JEALOUS /POISON

समुद्र मंथन हुआ तो उसमे से अनेक रत्नों के साथ विष भी निकला ।उस हलाहल विष की कुछ बूंदे मिट्टी पर गिर पड़ीं ।संयोगवश वह मिट्टी वही थी जिसे लेकर ब्रह्माजी मनुष्यों की देह बनाया करते थे ।उन्होंने उन विष की बूंदों को हटाया नहीं और उस विषैली मिट्टी से ही मनुष्यों की देह बनाते रहे ।विष की बूंदें ईर्ष्या की अग्नि बनकर मनुष्यों को जलाने लगीं और तभी से मनुष्य दूसरों को बढ़ता देखकर प्रसन्न होने के स्थान पर अकारण जलने और अपनी विषपान जैसी हानि करता चला आ रहा है ।

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