27 March 2013

गायत्री मंत्र के जप से और परमात्म सत्ता के प्रति समर्पण भाव से रहने की भावना से तनाव से मुक्ति मिलती है | निंदा ,प्रशंसा ,मान -अपमान को हम समभाव से लें ,उव्दिग्न (क्षुब्ध ,परेशान )होना और उव्दिग्न करना छोड़ दें -जल में कमल की तरह रहें तो तनाव मुक्त जीवन जी सकेंगे |
संत तुकाराम जब अत्यंत अभावग्रस्त स्थिति में थे ,तब उन्होंने पद लिखा ,जिसका भावार्थ है -"हे प्रभु !अच्छा ही हुआ मेरा दीवाला निकल गया | अकाल भी पड़ा ,वह भी त्रास भोगा | पत्नी और पुत्र भी भोजन के अभाव में मर गये ,यह भी अच्छा हुआ | मैं भी हर तरह की दुर्दशा भोग रहा हूं ,यह भी अच्छा ही है | संसार में अपमानित हुआ ,फिर भी धैर्य न खोया ,यह आपकी ही कृपा है प्रभु !गाय ,बैल ,द्रव्य सभी चले गये ,यह भी अच्छा ही है | लोक -लाज भी जाती रही ,यह भी ठीक ही है ,क्योंकि इन्ही का परिणाम है कि मुझे तुम्हारी मधुरिमामय शांतिपूर्ण गोद मिली | ऐसी ही कृपा बनाये रखना | "यह है सच्चे भक्त की मन:स्थिति | कभी कोई शिकायत नहीं 

1 comment:

  1. Nice thoughts....please do mention title it will be easier for readers.............must say very tough hindi............cheers ;-))

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